होली
Holi Festival
निबंध नंबर :- 01
होली रंगों का एक प्रसिद्ध
त्योहार है जो हर साल फागुन के महीने में भारत के लोगों द्वारा बड़ी खुशी के साथ
मनाया जाता है। ये ढ़ेर सारी मस्ती और खिलवाड़ का त्योहार है खास तौर से बच्चों के
लिये जो होली के एक हफ्ते पहले और बाद तक रंगों की मस्ती में डूबे रहते है। हिन्दु
धर्म के लोगों द्वारा इसे पूरे भारतवर्ष में मार्च के महीने में मनाया जाता है
खासतौर से उत्तर भारत में।
सालों से भारत में होली मनाने के
पीछे कई सारी कहानीयाँ और पौराणिक कथाएं है। इस उत्सव का अपना महत्व है, हिन्दु मान्यतों के अनुसार होली का पर्व बहुत
समय पहले प्राचीन काल से मनाया जा रहा है जब होलिका अपने भाई के पुत्र को मारने के
लिये आग में लेकर बैठी और खुद ही जल गई। उस समय एक राजा था हिरण्यकशयप जिसका पुत्र
प्रह्लाद था और वो उसको मारना चाहता था क्योंकि वो उसकी पूजा के बजाय भगवान विष्णु
की भक्ती करता था। इसी वजह से हिरण्यकशयप ने होलिका को प्रह्लाद को अपनी गोद में
लेकर आग में बैठने को कहा जिसमें भक्त प्रह्लाद तो बच गये लेकिन होलिका मारी गई।
जबकि, उसकी ये योजना भी असफल हो गई, क्योंकि वो भगवान विष्णु का भक्त था इसलिये प्रभु ने उसकी
रक्षा की। षड़यंत्र में होलिका की मृत्यु हुई और प्रह्लाद बच गया। उसी समय से
हिन्दु धर्म के लोग इस त्योहार को मना रहे है। होली से ठीक एक दिन पहले होलिका दहन
होता है जिसमें लकड़ी, घास और गाय के गोबर
से बने ढ़ेर में इंसान अपने आप की बुराई भी इस आग में जलाता है। होलिका दहन के
दौरान सभी इसके चारों ओर घूमकर अपने अच्छे स्वास्थय और यश की कामना करते है साथ ही
अपने सभी बुराई को इसमें भस्म करते है। इस पर्व में ऐसी मान्यता भी है कि सरसों से
शरीर पर मसाज करने पर उसके सारे रोग और बुराई दूर हो जाती है साथ ही साल भर तक
सेहत दुरुस्त रहती है।
होलिका दहन की अगली सुबह के बाद,
लोग रंग-बिरंगी होली को एक साथ मनाने के लिये
एक जगह इकठ्ठा हो जाते है। इसकी तैयारी इसके आने से एक हफ्ते पहले ही शुरु हो जाती
है, फिर क्या बच्चे और क्या
बड़े सभी बेसब्री से इसका इंतजार करते है और इसके लिये ढ़ेर सारी खरीदारी करते।
यहाँ तक कि वो एक हफ्ते पहले से ही अपने दोस्तों, पड़ोसियों और प्रियजनों के साथ पिचकारी और रंग भरे
गुब्बारों से खेलना शुरु कर देते। इस दिन लोग एक-दूसरे के घर जाकर रंग गुलाल लगाते
साथ ही मजेदार पकवानों का आनंद लेते।
निबंध नंबर :- 02
निबंध नंबर :- 02
होली
Holi
होली रंगों का
त्यौहार है। इस दिन लोग एक दूसरे को रंग लगाते है। ये रंग खुशी, उल्लास, स्नेह और भ्रातृ-भाव के प्रतीक है। होली का त्यौहार फाल्गुन
माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। सो यह त्यौहार बसंत ऋतु के आने की सूचना भी
देता है। इस दिन लोग हंसी-खुशी नाचते और गाते हैं। तरह-तरह के फूलों से बगिया महक
जाती है। होली के त्यौंहार के साथ एक पौराणिक कथा भी जुड़ी है। राजा हिरण्यकश्यप एक
घमण्डी और अत्याचारी राजा था। वह अपने आप को भगवान समझता था। वह अपनी प्रजा पर
बहुत अत्याचार करता था लेकिन उसका पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था।
उसने अपने पिता को भगवान मानने से मना कर दिया, इसलिए हिरण्यकश्यप ने उसे मारने के प्रयास कई बार किये।
लेकिन मार नही सका। हिरण्यकश्यप की एक बहन थी - होलिका। होलिका को यह वरदान के रूप
में एक वस्त्र मिला था जिसे ओढ़कर यदि वह अग्नि में प्रवेश करे तो अग्नि उसे जला
नही सकती। होलिका ने अग्नि की व्यवस्था की और वह वस्त्र ओढ़कर अग्नि में बैठ गई।और
गोद में प्रहलाद को भी बिठा लिया। वह उसे मारना चाहती थी। लेकिन जैसे ही आग जली तो
वह वस्त्र प्रहलाद पर आ गिरा। इस अग्नि में होलिका जल गई और प्रहलाद बच गया। इसलिए
होली के त्यौहार पर होलिका जलायी जाती है। होलिका बुराई का प्रतीक थी। इसलिए माना
जाता है कि हम होलिका दहन में ईष्या, पाप, बुराई और असत्य को जलाते
है।इस त्यौहार पर दीवानों की टोलियाँ नाचते, गाते और हुल्लड़ मचाते हुए गलियों और बाजारों में दिखाई देती
है। लोग पिचकारियों से एक दूसरे पर रंग फेंकतें है। एक दूसरे को गुलाल लगातेे है
और गले मिलते है। गले लगने से साल भर के वैर भाव मिट जाते है। और शत्रुता मित्रता
में बदल जाती है। इस दिन अपने दोस्तों और प्रियजनों में मिठाईयाँ बांटी जाती है।
होली पर लोग जी
भर कर खुशियां मनाते है। हास्य और व्यंग्य के कवि सम्मेलनों का आयोजन किया जाता
है। एक ओर दूसरों का मजाक बनाया जाता है तो दूसरी ओर खुद पर मजाक करके दूसरों को
हंसाया जाता है। ‘महामूर्ख‘सम्मेलन का आयोजन भी किया जाता है। जिसमें गाँव
का कोई सम्मानित आदमी सहर्ष ही मूर्ख बनना स्वीकार कर लेता है।
होली के त्यौहार
को ऋतु के पर्व के रूप में भी मनाया जाता है। किसानों की फसलें पक जाती हैं। अपनी
मेहनत के फल को देखकर कृषक खुशी से फूला नही समाता है।
होली को ‘अष्ठिका‘ पर्व के नाम से भी जाना जाता है। इस अवसर पर जैन धर्म के
लोग आठ दिन तक सिद्ध चक्र की पूजा करते है। होली का पर्व प्रेम, सद्भावना, मित्रता और समानता का पर्व है।
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