शहरी जीवन बनाम
ग्रामीण जीवन
Shahri Jeevan Banam Gramin Jeevan
ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों
में जीवन के अपने-अपने सकारात्मक एवं नकारात्मक पहलू हैं। दोनो ही क्षेत्रों के
जीवन एक दूसरे से काफी अलग है। परंपरागत तौर पर, भारत मुख्य रूप से एक ग्रामीण देश है जैसा कि महात्मा गांधी
ने भी कहा था 'असली भारत गांवों
में बसता है।
गांवों में त्योहारों एवं मेलों
की भरमार होती है। यहां त्योहारों को परंपरागत तरीके से भाईचारे की भावना के साथ
मनाया जाता है। होली, बैसाखी, पोंगल, ओणम, दशहरा, दीवाली या ईद कोई भी त्योहार हो लोक संगीत की
धुनों पर पूरा गांव एक साथ नाचता है। गांव में सभी लोग बिरादरी के बंधन में बंधकर
रहते हैं। वे जीवन की परिस्थितियों चाहे वो कोई दुःख हो या खुशी आपस में एक दूसरे
के साथ बांटते हैं। हालांकि, उनकी जीवन शैली
शहरी लोगों की तुलना में ज्यादा विकसित नहीं होती है फिर भी ग्रामीण लोग गर्मजोशी
से भरे हुए एवं अधिक सौहार्दपूर्ण होते हैं। वे एक दूसरे का ख्याल भी ज्यादा रखते
हैं और पूरे गांव में सभी लोग एक दूसरे को पहचानते भी हैं। वे महानगरीय शहरों की
तरह अलगाव की स्थिति में नहीं रहते हैं।
भारत में गांवों की प्राकृतिक
सुंदरता भी देखते ही बनती है। हरे भरे खेतों के चारों तरफ फूलों का आच्छादन और एवं
दूर-दूर तक फैली हूई मादक खुशबू। गांव में खेतों, खलिहानों तथा घरों के चारों तरफ पक्षियों का खुशी से
चहचहाना। सादगी ही ग्रामीण जीवन की पहचान है।
दुर्भाग्य से, नौकरियों की खोज तथा आराम एवं सुख- सुविधाओं की
सामग्रियों की चकाचौंध की वजह से लोग
ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की तरफ बड़े पैमाने पर पलायन कर रहे
हैं। हालांकि, अब देश में गांव
भी जीवन स्तर के मामले में आगे बढ़ रहे हैं और शहरीकरण तेज गति से हो रहा है।
बिजली, पानी, कंक्रीट की सड़कों, टेलीफोन, मोबाइल फोन,
कंप्यूटर, शिक्षा और चिकित्सा देखभाल की सुविधाएं अब ग्रामीण भारत के
कई हिस्सों में सुलभता से पहुंच रही हैं। किसान भी अब आधुनिक कृषि यंत्रों का
उपयोग कर रहे हैं, और बैलों के
स्थान पर वे ट्रैक्टरों से खेत जोत रहे
हैं।
लेकिन ग्रामीण जीवन में
परेशानियां भी बहुत हैं। वहाँ अक्सर भूमि से संबंधित विवाद होते रहते हैं और कई
बार एक ही गोत्र में प्रेम विवाह की वजह से भी रक्तपात एवं हिंसा की घटनाएं हो जाती
हैं। ग्राम पंचायतें विभिन्न विवादों पर विचार-विमर्श करते हुए बहुत कठोर और
निर्मम निर्णय सुना देते हैं जिनसे लोगों का जीवन दुख और दर्द से भरी हुई एक कहानी
बन के रह जाता है।
गांव के लोग ने शहरी बाजारों
में अपने कृषि की उपज जैसे अनाज, फल और सब्जियों
की बिक्री पर निर्भर रहते हैं और साथ ही शहरी लोग ग्रामीण क्षेत्रों से की जा रही
जीवन के लिए आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के बिना जीवित नहीं रह सकते हैं। गांवों से
लोग रोजाना आधुनिक जीवन की नवीनतम सुख-सुविधाओं की आवश्यक वस्तुओं को खरीदनें,
फिल्म देखने, आनंद मनाने एवं शहरी प्रतिष्ठानों में नौकरी करने के लिए
सफर करके शहर आते हैं। वास्तव में भारत का समग्र विकास गांवों और शहरों के
सामंजस्यपूर्ण विकास के बिना असंभव है। ये दोनों ही एक-दूसरे के पूरक हैं।
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