दीवाली 

निबंध नंबर : 01 
दीवाली हिन्दुओं का प्रसिद्ध त्यौहार है। दीवाली को दीपावली भी कहते हैं। दीपावली का अर्थ होता है - दीपों की माला या कड़ी।

दीवाली प्रकाश का त्यौहार है। यह हिन्दू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक माह की अमावस्या को मनाई जाती है। दीवाली में लगभग सभी घर एवं रास्ते दीपक एवं प्रकाश से रोशन किये जाते हैं।

दीवाली का त्यौहार मनाने का प्रमुख कारण है कि इस दिन भगवान् राम, अपनी पत्नी सीता एवं अपने भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष का वनवास बिताकर अयोध्या लौटे थे। उनके स्वागत में अयोध्यावासियों ने दिये जलाकर प्रकाशोत्सव मनाया था। इसी कारण इसे प्रकाश के त्यौहार के रूप में मनाते हैं।

दीवाली के दिन सभी लोग खुशी मनाते हैं एवं एक-दूसरे को बधाईयाँ देते हैं। बच्चे खिलौने एवं पटाखे खरीदते हैं। दुकानों एवं मकानों की सफाई की जाती है एवं रंग पुताई इत्यादि की जाती है। रात्रि में लोग धन की देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं।

निबंध नंबर : 02 


दीपावली 
Diwali

त्योंहार उन विशेष अवसरों में से एक होता है। जिनमें मानव आनन्द का अनुभव करने के लिए विशेष अवसरों की खोज करता है। सामाजिक त्योहारों में दीपावली की अपनी महत्ता है। इस त्योहार पर जीवन के अज्ञान रूपी अंधकार को दूर करके प्रकाश में सभी सुविधाओं को जुटाने का संकल्प किया जाता हैं।

दीपावली शब्द दीप$अवली से मिलकरि बना है। जिसका साधारण अर्थ है। कि दीपों की पंक्ति का उत्सव है। अर्थात दीपावली का त्योंहार प्रकाश, उल्लास और ज्ञान का पर्व है। घोर अमावस्या की रात्रि के अंधेरे को जिस तरह से झिलमिलाते हुए दीप दूर कर देते हैं। ठीक उसी तरह से निराशा व दुख के अंधकार को ज्ञान, आशा और सुख दूर कर देते है। इस त्योंहार के साथ कई पौराणिक तथा धार्मिक कथाएं जुडी हैं कहा जाता है कि इस दिन मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम जी 14 वर्ष के कठोर वनवास को पूरा करके तथा रावण को मारकर वापिस अयोध्या लौटे थे। तब अयोध्या वासियों ने उनका स्वागत करने के लिए कार्तिक अमावश्या को हर्षोल्लास के साथ जलते हुए सजाया था। उसी समय से दीपावली श्रीराम जी के लौटने का प्रतीक हो गई। दीपावली वर्ष के अंत में मनाई जाती है।

इस उत्सव के आते ही गंदे घरों सफाई तथा मरम्मत करायी जाती है। जिससे मच्छरों एवं कीटाणुओं का नाश हो जाता हैं। किसान इस त्योंहार को नए अन्न के आगमन की खुशी में मनाते है। इसी अन्न को लक्ष्मी-पूजन करने में उपयोग में लेते है। नवरात्रों के बाद से ही इस त्योंहार की तैयारियां शुरू हो जाती है। इस त्योंहार पर हर परिवार में धातु का कोई न कोई बर्तन जरूर खरीदते है। इस त्योंहार का दूसरा दिन रूप चैदस के नाम से प्रसिद्ध हैं। गांवों में इसे छोटी दीपावली के नाम से भी जानते हैं। कहा जाता हैं कि समुद्र मंथन के समय इसी दिन लक्ष्मी जी प्रकट हुई थी। और देवताओं ने उनकी पूजा की थी। इसीलिए इस दिन भी लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। इस दिन अन्नकूट बनता हैं। इसके बाद का दिन यम-द्वितीया के नाम से जाना जाता है। इस दिन बहन अपने भाई का टीका करती है। और भाई अपनी श्रद्धानुसार उसे कुछ भेट देता है। इस त्योंहार पर घर-गली, बाजार सभी दीपकों, मोमबतियों, और रंग-बिरंगें बल्बों से जगमगा उठते है। व्यापारी लोग इस दिन अपने बही-खाते बदलते हैं। लोग अपने मित्रों तथा रिश्तेदारों को दीपावली कार्ड व मिठाई भेजकर उनकों शुभकामनाएं भेजते है। रात्रि में लक्ष्मी पूजन किया जाता है।

यह आशा, प्रकाश और उत्साह का त्योंहार है। लेकिन इस शुभ अवसर पर मदिरा-पान करना बहुत हानिकारक है। भगवान सद्बुद्धि दे कि लोग इन दूव्र्यसनों को त्याग कर दीपक की लौ को अपने हृदय में बसाकर ज्ञानी बने।