मनोरंजन के आधुनिक साधन 


मनुष्य दिन भर शारीरिक व् मानसिक श्रम करके थक जाता है। वह इस थकान को मनोरंजन के द्वारा दूर करना चाहता है। दैनिक जीवन के विभिन्न कार्यकलापो में उसे अनेक प्रकार की उलझने, निराशा और नीरसता का सामना करना पड़ता है। इन सभी को समाप्त करने के लिए तथा मन की एकाग्रता के लिए मनोरंजन के साधनों का होना आवश्यक है। जिस प्रकार मनुष्य को शरीर के लिए भोजन की आवश्यकता होती है उसी प्रकार मन को स्वस्थ रखने के लिए मनोरंजन की आवश्यकता होती है।

प्रत्येक व्यक्ति की रूचि भिन्न प्रकार की होती है। अंत : वह अपनी रूचि के अनुसार ही मनोरंजन के साधनों की खोज करता रहता है। कुछ व्यक्ति अपना मनोरजन केवल पुस्तके पढकर, रेडियो सुनकर व् टेलीविजन देखकर ही कर लेते है जब की दुसरे व्यक्ति सिनेमा , खेलकूद, बागवानी, कवि सम्मेलन व भ्रमण द्वारा मनोरंजन करना अच्छा समझते है। समय के परिवर्तन से भी मनोरंजन के साधनों में बदलाव आया है। पुरातन काल में मनुष्य तीर्थ यात्राएँ करके या प्रकृति का आनन्द लेकर ही मनोरंजन कर लेता था।

आधुनिक युग में मनुष्य कम समय में अधिक मनोरंजन चाहने लगा है। विज्ञान की प्रगति के कारण आज अनेक ऐसे साधन उपलब्ध हो गए है, जैसे रेडियो , दूरदर्शन , चित्रपट , ट्रांजिस्टर आदि। रेडियो द्वारा जिन कार्यक्रमों को सुनकर हम आनन्द प्राप्त करते है , दूरदर्शन द्वारा उन्ही कार्यक्रमों को अपनी दृष्टि से देखकर उनका अधिक आनन्द उठाते है। क्रिकेट, हाकी, फुटबाल, टेनिस, कबड्डी आदि खेलो से खिलाडी और दर्शको का घर से बाहर मैदान में अच्छा मनोरंजन हो जाता है। ये खेल मनोरंजन के साथ-साथ स्वास्थ्यवर्धक भी है। शतरंज, चौपड़, ताश, कैरम, साप-सीढी, जूडो आदि अनेक ऐसे खेल है जिनसे घर में बैठे रह कर मनोरंजन किया जा सकता है। अच्छे साहित्य का अध्ययन भी घरेलू मनोरंजन का श्रेष्ठ साधन है।

आज का शिक्षित वर्ग उपन्यास-कहानियों द्वारा अपना मनोरंजन कर रहा है। कुछ धार्मिक विचारो के लोग गीता, रामायण व उपनिषद आदि धार्मिक ग्रन्थो को पढ़ या सुन कर मनोरंजन करते है। मनुष्य के पास मनोरंजन के अनेक साधन उपलब्ध है। वह अपनी स्थिति , रूचि और सुविधा के अनुसार उनका चयन –कर सकता है परन्तु देखना यह है की वे साधन स्वस्थ एव सुरक्षात्मक हो। अपने को या किसी अन्य को किसी प्रकार की हानि पहुँचाने वाले न हो।