मेरे प्रिय अध्यापक 
Mere Priya Adhyapak 

एक अध्यापक लम्बा प्रभाव डालता है। वह कभी नहीं बता सकता कि उसका प्रभाव कैसे रूकेगा। सभी क्षेत्रों में शिक्षा को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। भारत में तो गुरू को ईश्वर से भी बड़ा माना जाता है। विद्यार्थी का विकास उसकी भावी दिशा तथा समाज के भावी स्वरूप् को निश्चित करने में शिक्षक का अमूल्य योगदान होता है। इस दृष्टि से प्रत्येक विद्यालय में आदर्श शिक्षक होते है। वि़द्यार्थी के जीवन को सवारने में अध्यापक की भुमिका अहम होती है। जैसे कुम्हार नहीं चाहता है कि, उसके हाथ के बनाए हुए बर्तन टुट जाएं। वैसे ही एक अध्यापक नहीं चाहता कि उसका शिष्य जीवन में असफल हो जाए। जैसे कुम्हार ऊपर से चोट करता है। लेंकिन बर्तनों को आकार देने के लिए अंदर हाथ का सहारा देता हैं ठीक वैसे ही एक शिक्षक अपने शिष्यों को उन्नति कि पथ पर देखने के लिए उनको दण्ड भी देता है,डांटता है।

कबीर दास ने लिखा है

गुरू कु म्हार शिष्य कुंभ है, गढ़ि-गढ़ि काढ़ कोट,अंतर हाथ सहार दे, बाहर-बाहर चोट ।।

अध्यापक यद्यपि छात्रों के साथ कठोर व्यवहार करता है। लेकिन हृदय से उनके कल्याण की कामना करता है। गुरू के द्वारा ही भगवान के ज्ञान और ईश्वर का दर्शन कराया जाता है।गुरू ईश्वर से पहले पूजनीय है। इस तथ्य को स्पष्ट शब्दों में कबीर दास ने इस प्रकार व्यक्त किया है-

गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागुं पायँ।बलिहारी गुरू आपने, गोविन्द दियो बताय।

मैं चिल्ड्रन पब्लिक स्कुल कक्षा - 8 का छात्र हूँ। मेरे प्रिय अध्यापक का नाम कमल राजपूत है। वे हमें भूगोल पढ़ाते है। वे सादा जीवन और उच्च विचारों में विश्वास रखने वाले अध्यापक है। साहित्य लेखन और भूगोल की किताब लिखने का कार्य भी करते हैं। वे एम. ए. और पीएचडी. है। वे विद्यालय में साफ वस्त्र पहनकर आते है। सादा वेश-भूषा का विद्यार्थियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। दूसरों के प्रति प्रेम, दया, सहानुभूति का भाव रखना गरीबों की सहायता करना, परीश्रमपूर्वक अध्यापन करना एवं अपने कार्य के प्रति निष्ठा रखना आदि गुण उनमें है। गलत बात पर वे छात्रों को प्रेम से समझाते है। उनकी स्नेह और गंभीरता ही छात्रों के लिए डांट का कार्य करती है। आदरणीय कमल राजपूत विद्यालय के पूरी ईमानदारी से करते है। वाद-विवाद प्रतियोगिताओं के लिए छात्रों को तैयार करते है।छात्रों में लेखन की प्रतिभा को विकसित करते है। यदि उनके छात्र कक्षा में ठीक से काम नहीं कर पा रहे है, तो वे उन्हें अतिरिक्त समय देकर पढ़ाते है। वह शिक्षकों में से नहीं है। जो कक्षा नहीं लेते, और घर पर टयूशन लेते है। उन्होंने मुझे भी अतिरिक्त समय देकर पढ़ाया था। उनकी कक्षा में अनुशासन बहुत अच्छा होता है। वे सभी विद्यार्थियों के प्रिय है। वे आदर्श शिक्षक है। वे समय के पाबंद है। और समय से पहले ही विद्यालय में आ जाते है। वे कभी भी देरी से नहीं आते। वंे विद्यार्थी केी व्यक्तिगत और मानसिक समस्याओं को भी समझते है। और उनका समाधान करते है। शारीरिक दण्ड देना वे जरूरी नहीं समझते।

एक आदर्श शिक्षक के सभी गुण उनमें विद्य़मान है। वे वि़द्यार्थियों की मानसिक क्षमताओं से उन्हें परिचित कराते है। वे हमेशा छात्रों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देते है। मेरे प्रिय अध्यापक सर्वश्रेष्ठ अध्यापकों में से एक है। उनके कार्य और गुण मुझे ही नहीं बल्कि कई लोगों को भी प्रभावित करते है। हमें उन पर गर्व है। वे विद्यालय के बाहर भी एक आदर्श एवं सम्मानीय व्यक्ति के रूप में जाने जाते है। जो भी व्यक्ति उनके सम्पर्क में आता है। उनसे प्रभावित हो ही जाता है। उनकी मधुर वाणी शांत स्वभाव शिक्षा के लिए आस्था व कर्मठता के भाव मुझे प्रेरणा देते है। और जीवन भर देते रहेंगे। अध्यापक के गुणों का छात्रों पर सबसे अधि प्रभाव पड़ता है।