डाकिया 
Postman

डाकिया एक बहुत ही उपयोगी व्यक्ति है। और वह बहुत परिश्रमी होता है। वह पत्रोंए पार्सलोंए मनीआॅर्डरों को लोगों तक पहुँचाता है। वह खाकी वर्दी पहनता है और टोपी लगाता है। वह हमेशा अपने साथ चमड़े का थैला जिसे वह अपने कंधे पर लटकाकर रखता है। इसी थैले में वह वितरित किये जाने वाले कैश और पत्रों को रखता है। सर्वप्रथम डाकघर में वह पत्रों को क्षेत्रानुसार चुनता है तथा फिर उन्हें थैले में रखता है और साइकिल लेकर उन्हें अपने गंतव्य पर पहुँचाने के लिए चल देता है।

डाकिये का काम बहुत कठिन तथा थकाने वाला होता है। एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्रए एक मुहल्ले से दूसरे मुहल्लेए एक गली से दूसरी गली में तथा एक घर से दूसरे घर तक पत्रों को उसे पहँुचाना होता है। धीरे.धीरे हर गलीए हर मोहल्लाए हर घर उसकी याद में ही समा जाते है। लोग उसका इंतजार बड़ी बेसब्री से करते हैं कुछ लोगो को वह सुखद समाचार देता है तो कुछ को दुखद खबर भी सुनाता है। वह प्रतिदिन कार्य करता है। गर्मीएबरसात या सर्दी हो उसे अपना काम करना ही पड़ता है। उसका काम कठिन और थकाऊ वाला के बावजूद भी उसका वेतन कम होता है। उसका वेतन केवल लगभग 4000 रुपये के लगभग ही होता है। वह अपने दो वक्त का खर्चा भी बहुत कठिनाई से चला पाता है। ज बवह कोई अच्छी खबर लाता है तो लोग उसे खुशी से कुद बक्शीश भी दे देते है। त्यौहारों जैसे. होलीए दिवालीए ईद आदि पर लोग उसे कुछ पैसे जरूर देते है। जब वह रिटायर हो जाता है तो उसको पेंशन भी बहुत कम दी जाती है। संचार मंत्रालय को एक परम्परागत महत्वपूर्ण संचार वाहक की तरफ भी ध्यान दे। सरकार ने कुछ कदम उसकी परिस्थिति को सुधारने के लिए किये है लेकिन वे काफी नही है।

डाकिये को विनम्र होना चाहिए। हमें भी उससे दयापूर्ण व्यवहार करना चाहिए। डाकिये को हृष्ट.पुष्ट होना चाहिए। तभी वह अपने कत्र्तव्यों का अच्छे से निर्वाह कर पायेगा। वह कभी.कभी लापरवाही भी कर जाता है और पत्र को गलत स्थान पर डाल जाता है। जिससे पत्र प्राप्त करने वाले को नही मिल पाता है। और संचारहीनता के कारण बहुत बड़ी हानि भी हो जाती है। यदि यह मनीआॅर्डर हो तो यह एक प्रकार का सामाजिक अपराध है। इसलिए हम यह कह सकते है कि एक लापरवाह डाकिया समाज के लिए हानिकारक हो सकता है। डाक वितरण कार्य की संवेदनशीलता को देखते हुये डाकिये को अधिक कत्र्तव्यनिष्ठ और ईमानदार होना चाहिए । क्योंकि उसका कार्य ही ऐसा है और उससे अपेक्षा भी ऐसी ही की जाती है।