राज्य सभा
Rajya Sabha
राज्यसभा का गठन-
राज्यसभा संसद का दूसरा अथवा उच्च सदन है।संविधान के अनुच्छेद 80 में राज्यसभा की संरचना का उल्लेख किया गया
है।राज्यसभा में अधिकतम 250 सदस्य हो सकते
है।जिनमें से 238 राज्यों और संघ
शासित प्रदेशों से आते है। तथा 12 सदस्य
राष्ट्रपति द्वारा उन लोगो में से मनोनीत किये जाते है, जिन्होनें कला, साहित्य, विज्ञान तथा समाज
सेवा के क्षेत्रों में विशिष्ट ज्ञान अथवा अनुभव प्राप्त किये हों।राज्यसभा में
प्रत्येक राज्य के प्रतिनिधियों का उस राज्य की विधानसभा निर्वाचित सदस्यों द्वारा
आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के एकल संक्रमणीय मत द्वारा किया जाता है।जबकि
संघशासित प्रदेशों से संसद द्वारा निर्धारित रीति से राज्यसभा सदस्य चुने जाते
हैं। राज्यसभा एक स्थायी सदन होता है जिसे भंग नही किया जा सकता है।इसके सदस्यों
का कार्यकाल 6 वर्ष का होता
है। तथा प्रति 2 वर्ष बाद 1/3 सदस्य पद निवृत्त हो जाते हैं तथा उनके स्थान
पर नए सदस्यों को चुना जाता है।
लोकसभा को संसद
का निम्न सदन तथा राज्यसभा को संसद का उच्च सदन कहा जाता है।लोकसभा जनता का तथा
राज्यसभा संघ के राज्यों तथा संघीय क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करती है। लोकसभा का
कार्यकाल 5 वर्ष का होता है जबकि
राज्यसभा का 6 वर्ष का होता
है।लोकसभा को भंग किया जा सकता है लेकिन राज्यसभा को भंग नही किया जा सकता क्योंकि
यह स्थायी सदन होता है।साधारण विधेयकों के सम्बन्ध में दोनों सदनों के अधिकार समान
है लेकिन वास्तव में इस बारे में आवश्यकता पड़ने पर बुलाई जाने वाली संयुक्त बैठक
में अधिक सदस्य संख्या होने के कारण लोकसभा का निर्णय ही प्रभावशाली सिद्ध होता
है।वित्त विधेयक केवल लोकसभा मे ही प्रस्तुत किये जा सकते है। राज्यसभा उन्हें
केवल 14 दिनों तक रोक सकती
है।संविधान संशोधन के सम्बन्ध में दोनो सदन समान शक्तियां रखते है। मन्त्रिपरिषद्
केवल लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है। दोनों ही सदन राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति
के चुनाव में भाग लेते है।
राज्यसभा के लिए
संघ राज्य क्षेत्रों के प्रतिनिधियों का चुनाव संसद द्वारा निर्धारित विधि द्वारा
किया जाता है। राज्यसभा एक स्थायी सदन है जिसे कभी भंग नही किया जा सकता।
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