गाँधी जयंती पर भाषण
Speech on "Gandhi Jayanti"

सभी माननीय, आदरणीय प्रधानाध्यापक, शिक्षक और मेरे प्यारे दोस्तों को मैं प्यार भरा नमस्कार कहना चाहूँगा। मेरा नाम अनन्त है, मैं कक्षा 6 में पढ़ता हूँ। 

गाँधी जयंती के इस महान अवसर पर मैं भाषण देना चाहूँगा। हालाँकि, सबसे पहले मैं अपने क्लास टीचर को धन्यवाद देना चाहूँगा जिन्होंने इस राष्ट्रीय अवसर पर मुझे ये मौका प्रदान किया। मेरे प्यारे दोस्तों, हमलोग यहाँ गाँधी जयंती मनाने के लिये जुटे है (2 अक्टूबर अर्थात् महात्मा गाँधी का जन्म दिन) ये एक शुभ अवसर है जो हमें देश के एक महान देशभक्त नेता को श्रद्धांजलि देने का मौका उपलब्ध कराता है। ये पूरे विश्व भर में राष्ट्रीय (गाँधी जयंती के रुप में) और अंतरराष्ट्रीय स्तर (अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस) पर मनाया जाता है। आज, गाँधी जयंती के अवसर पर, मैं राष्ट्रपिता के जीवन इतिहास पर ध्यान दिलाना चाहूँगा, महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनके अभिवावक का नाम करमचन्द गाँधी और पुतलीबाई था। प्राथमिक और 12वीं पास करने के बाद कानून की डिग्री लेने के लिये बापू 1888 में इंग्लैंड चले गये। कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद 1915 में वह भारत लौटे और भारत की आजादी के आंदोलन में भाग लेना शुरु किया। जब एक बार वह दक्षिण अफ्रीका में नस्लवाद के पीड़ित बने जो उनकी आत्मा को बुरी तरह प्रभावित किया तब से नस्लवाद की सामाजिक बुराई का वह विरोध करना शुरु कर दिये। भारत लौटने के बाद वो गोपाल कृष्ण गोखले से मिले और अंग्रेजी शासन के खिलाफ अपनी आवाज उठाने के लिये भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के आंदोलन से जुड़ गये। भारत की आजादी की प्राप्ति के लिये उन्होंने विभिन्न आंदोलनों की शुरुआत की जैसे 1920 में असहयोग आंदोलन, 1930 में दांडी मार्च और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन। वो एक महान देशभक्त नेता थे जिनके लगातार प्रयास की वजह से 1947 में अंग्रेजों को देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। हम उनको श्रद्धांजलि देने के लिये उनका जन्म दिन मनाते है और हमें आजाद भारत देने के लिये धन्यवाद देते है। 

जय हिन्द जय भारत धन्यवाद