आप पर्वतारोहण पर जाना चाहते हैं किंतु आपके पिताजी अनमति नहीं दे रहे। आप उन्हें मनाने के लिए पत्र लिखें ।
सुरभि बत्रा
847, सैक्टर 14
भोपाल
16 अक्तूबर, 2014
पूजनीय पिताजी
सादर चरण स्पर्श!
आशा है आप सानंद होंगे। मैं भी यहाँ अत्यंत प्रसन्न हैं। आपके आशीर्वाद से मेरी पढ़ाई ठीक चल रही है।
पिताजी, आपने मेरी पढ़ाई को ध्यान में रखते हए मुझे पर्वतीय यात्रा पर जाने से मना किया है। परंतु मेरा मन यात्रा पर ही है। मेरी सारी सहेलियाँ यात्रा पर जा रही हैं। इसलिए मझे लगता है कि मैं उनके बिना यहाँ अकेली और उदास महसूस करूंगी। शायद उन दिनों घर आने की सोचूँ।
जहाँ तक पढ़ाई की बात है, अभी परीक्षाएँ संपन्न हुई हैं। अगला सत्र छुट्टियों के बाद शुरू होगा। अतः मेरा आपसे फिर से आग्रह है कि मुझे यात्रा पर जाने की अनुमति प्रदान करें। मैं आपको विश्वास दिलाती हूँ कि इस कारण अपनी पढ़ाई पर आँच नहीं आने दूँगी।
आपकी अनुमति की प्रतीक्षा में-
आपकी बिटिया
सुरभि
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