हमेशा सोच समझकर फैसला करो
Hamesha Soch Samajhkar Faisla karo
एक समय की बात हैं। किसी गाँव में चार दोस्त रहते थे। उनमें से तीन बहुत ही पढ़े- लिखे विद्वान थे, जबकि चौथा दोस्त मूर्ख था। चारों में बहुत अच्छी दोस्ती थी। वे हमेशा एक साथ रहते और बातें खूब करते थे।
एक दिन की बात हैं। वे एक पेड़ के नीचे बैठे बातें कर रहे थे कि अब हमें कुछ काम करने के लिये पास के नगर में जाना चाहिये। चारों इस बात से राजी हो गये, अगले दिन वे अपना सामान लेकर नगर की तरफ निकल गये।
रास्ता में सुनसान जंगल पड़ता था। वे पेड़ - पौधें जीव - जंतुओं के बारे में बातें करते जा रहे थे।
रास्ते में उन्हें किसी जानवर के हड्डियों का ढाँचा मिला, वह बिखरा हुआ था।
पहला दोस्त बोला- मै हड्डियों के जोड़ने की जादुई विद्या समझता हूँ। देखो में अभी इन्हें जोड़ देता हूँ।
उसने अपने जादुई विद्या से तुरंत उस बिखरे हड्डियों को आपस में जोड़ दिया।
दूसरा दोस्त बोला- मै हड्डियों में माँस, चमड़े, नाखून यह सब लगाने की जादुई विद्या जनता हूँ।
उसने अपनी जादुई विद्या से तुरंत उस कंकाल में मांस, चमड़े, नाखून और बाल आदि लगा दिए।
वह एक शेर का कंकाल था। उसके जादू से वह कंकाल अब मरे हुये शेर में परिवर्तित हो गया।
तीसरा दोस्त बोला- मै मरे हुये जानवरों को जिंदा करने की जादुई विद्या जनता हूँ। देखो में अभी इसे जिंदा कर देता हूँ।
यह सुनकर चौथा दोस्त बोला- रुको दोस्त, यह शेर जिंदा होते ही हमें खा जायेगा इसलिये तुम इसे जिंदा मत करो।
लेकिन तीसरे दोस्त ने- चौथे दोस्त की बातों पर ध्यान नहीं दिया और उसने उस शेर को जिंदा करने का जादू लगाना शुरू कर दिया| यह देख चौथा दोस्त भाग कर पेड़ पर चढ़ गया, तीनों दोस्त शेर के जिंदा होने का इंतजार करने लगे। कुछ ही देर में वह शेर जिंदा हो गया और जोर - जोर से दहाड़ने लगा, उसे देख तीनों दोस्त भागने लगे, लेकिन शेर ने एक ही छलाँग में उन्हें मार डाला।
शिक्षा/Moral:- हमें हमेशा सोच - समझ कर ही कोई फैसला करना चाहिये।
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