लालची कुत्ता 
Lalchi Kutta

कहानी # 1 

एक गाँव में एक कुत्ता था. वह बहुत लालची था. वह भोजन की खोज में इधर – उधर भटकता रहा. लेकिन कही भी उसे भोजन नहीं मिला. अंत में उसे एक होटल के बाहर से मांस का एक टुकड़ा मिला. वह उसे अकेले में बैठकर खाना चाहता था. इसलिए वह उसे लेकर भाग गया.


एकांत स्थल की खोज करते – करते वह एक नदी के किनारे पहुँच गया. अचानक उसने अपनी परछाई नदी में देखी. उसने समझा की पानी में कोई दूसरा कुत्ता है जिसके मुँह में भी मांस का टुकड़ा है.


उसने सोचा क्यों न इसका टुकड़ा भी छीन लिया जाए तो खाने का मजा दोगुना हो जाएगा. वह उस पर जोर से भौंका. भौंकने से उसका अपना मांस का टुकड़ा भी नदी में गिर पड़ा. अब वह अपना टुकड़ा भी खो बैठा. अब वह बहुत पछताया तथा मुँह लटकाता हुआ गाँव को वापस आ गया.


शिक्षा/Moral:- लालच बुरी बला है. हमें कभी भी लालच नहीं करना चाहिए. जो भी इंसान लालच करता है वह अपनी लाइफ में कभी भी खुश नहीं रह सकता. हमें अपनी मेहनत या किस्मत का जितना भी मिल गया. उससे अपना काम निकालना चाहिए.


लोभी कुत्ता 
Lobhi Kutta

कहानी # 2 

एक दिन एक कुत्ता बहुत भूखा था। वह भोजन की तलाश में भटक रहा था। जब उसे कहीं कुछ खाने के लिए नहीं मिला तो उसे बाजार के नुक्कड़ में स्थित कसाई की दुकान की याद आई। जब भी उसे गोश्त खाने का मन होता, वह कसाई की दुकान पर जाता। कसाई बची हुई हड्डी का गोश्त का छोटा टुकड़ा उसके आगे डाल देता इसलिए आज भी वह कसाई की दुकान के सामने जा पहुँचा। वह कसाई की दुकान के सामने बैठ गया पर आज कसाई ने उसे अनदेखा कर दिया इसलिए चुपके से वह दुकान से माँस का एक बड़ा टुकड़ा मुँह में लेकर वहाँ से भाग खड़ा हुआ। 

कुत्ते  ने सोचा कि क्यों ना माँस के टुकड़े को किसी सुरक्षित स्थान पर खाया जाए जहाँ कोई और कुत्ता आकर उसके द्वारा चुराए गए माँस के टुकड़े को ना छीन सके। इसी सोच-विचार में वह आगे बढ़ रहा था। उसने माँस के टुकड़े को अपने मुँह में कसकर पकड़ा हुआ था। 

रास्ते में उसे एक नहर मिली, जिसे पार करने के लिए उस पर लकड़ी का एक पुल बना हुआ था। अभी वह कुत्ता आधा पुल ही पार कर पाया था कि उसकी नजर नहर के पानी में पड़ती हुई अपनी परछाई पर पड़ी। 

कुत्ता यह नहीं समझ पाया कि वह उसकी परछाई है। उसने सोचा कि पानी के अंदर कोई दूसरा कुत्ता है जो उसी के समान माँस का टुकड़ा मुँह में लिए पानी के नीचे खडा है। वह बहत प्रसन्न हुआ उसे लगा कि आज निश्चय ही मेरे भाग्य के सितारे बुलंद हैं। इसीलिए मुझे बार-बार माँस के टुकड़े मिल रहे हैं। मुझे अचानक मिले इस अवसर को गंवाना नहीं चाहिए क्योंकि ऐसे सनहरे अवसर बार-बार नहीं मिलते। कुत्ते के मन में लालच आ गया। उसने सोचा, 'क्यों न मैं पानी के नीचे खड़े कुत्ते के मुँह से माँस का टुकड़ा छीन लूँ। इस प्रकार मेरे पास दो टुकड़े हो जाएंगे। पता नहीं फिर कब भोजन मिले। मुझे इस मौके को गँवाना नहीं चाहिए।' 

ऐसा सोचकर वह अपनी ही परछाई पर जोर-जोर से भौंकने लगा। भौंकते ही उसके मुँह से माँस का टुकड़ा निकल कर नहर में जा गिरा। टुकड़ा गिरने के कारण पानी में पड़ती हुई कुत्ते की परछाई भी खो गई। अब तो कुत्ते के पास कुछ भी नहीं रह गया था। दूसरे का टुकड़ा छीन लेने की कोशिश में उसने अपना टुकड़ा भी गँवा दिया।

शिक्षा: लालच बुरी बला है।