जहाँ चाह, वहाँ राह
Jaha Chah Waha Rah
यह पंक्ति व्यक्ति की आत्मशक्ति पर केंद्रित है। यह स्वयं पर विश्वास ही है जो किसी भी कठिन कार्य को आसान कर देती है। ठोस आत्मशक्ति वाला व्यक्ति जीवन में कुछ भी हासिल कर सकता है। वह नई ऊँचाइयों को छू सकता है। उसके रास्ते में कोई रुकावट बाधा नहीं बन सकती। जिसके पास हौसला तथा आत्मविश्वास है। शारीरिक रोग तथा मानसिक परेशानियां भी उस पर रोक नहीं लगा सकी। उसे सदा मेहनत करते रहना चाहिए। बर्फ के पहाड़ पिघल जाएंगे, समुद्र सूख जाएंगे तथा बादल उड़ जाएंगे यदि उसे स्वयं पर विश्वास है।
मजबूत आत्मशक्ति वाला व्यक्ति ही सपनों को हकीकत में बदल सकता है। वह ही असंभव को संभव कर सकता है। दूसरी ओर कमजोर आत्मशक्ति वाला व्यक्ति हालातों से मार खा जाता है। उसमें कुछ भी करने की हिम्मत या हौसला नहीं रहता। यह मजबूत आत्मशक्ति का ही परिणाम है कि महान व्यक्ति समय की रेत पर अपने पैरों के निशान छोड़ गए हैं।
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