शेर तथा चूहा 
Sher aur Chuha

एक बार एक शेर था। एक दिन वह शांति से सूरज के नीचे आराम कर रहा था। एक चूहा बिल से बाहर आया। वह भी धूप में बैठना चाहता था। किन्तु जब उसने शेर को देखा तो वह उसकी पीठ पर कूदने लगा। शेर उठ गया तथा उसे गुस्सा आ गया।

शेर चूहे को मारने ही वाला था। चूहे ने उस से माफी मांगी। इसलिए शेर ने उसे नहीं मारा। कुछ देर में शेर जंगल के अन्दर चला गया।

वहाँ एक शिकारी ने जाल बिछा रखा था। शेर उसमें फंस गया। वह उस से बाहर आने का प्रयास करने लगा किन्तु नकामयाब रहा। उसी दौरान चूहा वहां से गुजर रहा था। उसने शेर को जाल में फंसे हुए देखा। उसने अपने तीखे दांतों से जाल को काट दिया। शेर जाल से बाहर आ गया। उसने चूहे का धन्यवाद किया तथा वहाँ से चला गया।

शिक्षा : कर भला, हो भला।