मेरी आवाज सुणों
Meri Awaz Suno
उत्तराखंड्यूं तै मो
मा बात बत दयूलु।
तुम कुण अपण पेट पर--
मी लात लगै द्यूलु ।
तुम म्यार साथ-द्याऊ,
मी तुम तै स्वराज दिलं द्यूलु,
उत्तराखंडक तुमर नै
इतिहास बणे द्यूलु।
मीन हाल-चाल तुमर,
सब देख-भालि आई।
यी मजबूरी-गरीबिक-
कख हँसी नि उड़े ग्याई ?
सान्ति मा ही तुम ते मी—
समग्र क्रान्ति दिखै द्यूलु,
उत्तराखंडक तुमर नै
इतिहास बणे द्यूलु।
सहरू क मज़ा तुमन,
खूब जखी आल।
अपण घर-बार भि,
कख सुरक्षित रखी आल ।
'लुटी ग्याऊ तुम',
इ सब्ब त बतै द्यूलु ।
उत्तराखंडक तुमर नै
इतिहास बणे द्यूलु।
तुमर दर्द त है दोस्तो।
निजद वग द्यूलु ।
बिना हाथ हथियार,
बिना मार-काटन।
लेखनीन लेखिक मी
आग लग चूल,
उत्तराखंडक तुमर नै.
इतिहास बण द्यूलु ।
खुयूँ जु सम्मान वे तै,
वापस दिलै द्यूलु ।
देव-गन्धर्व तै उख,
फिर से बस द्यूलु ।
जीण कू इक ने,
अदाज सिख द्यूलु ।
उत्तराखंड तै मी हिन्दक,
सरताज बणे द्यूलु ।
वी देवभूमिक,
जु अपमान करल।
गंगा-यमुना तै,
जु बदनाम करल।
वे क्रूर-दूस्ट तै मी,
मिट्टी मा मिलै द्यूलु ।
उत्तराखंडक तुमर नै,
इतिहास बगै द्यूलु ।
(धुआँ निकलता है, हरेक के मुंह से यही
पर न जाने बात क्या है, आग जलती ही नहीं।)
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