भारतीय हस्तकला
Indian Handicraft
हस्तकला ऐसे कलात्मक कार्य को कहा जाता है जो उपयोगी होने के साथ-साथ सजाने, पहनने आदि के काम आता है। ऐसे कार्य मुख्य रूप से हाथों से अथवा छोटे-छोटे आसान उपकरणों या साधनों की मदद से ही किए जाते हैं। अपने हाथों से सजावट, पहनावे, बर्तन, गहने, खिलौने आदि से सम्बन्धित चीज़ों का निर्माण करने वालों को हस्तशिल्पी या दस्तकार कहा जाता है। इसमें अधिकतर पीढ़ी-दर-पीढ़ी परिवार काम करते आ रहे हैं। जो चीजें मशीनों के माध्यम से बड़े स्तर पर बनायी जाती हैं उन्हें हस्तशिल्प की श्रेणी में नहीं लिया जाता। भारत में हस्तशिल्प के पर्याप्त अवसर हैं। सभी राज्यों की हस्तकला अनूठी है। पंजाब में हाथ से की जाने कढ़ाई की विशेष तकनीक को फुलकारी कहा जाता है। इस प्रकार की कढ़ाई से बने दुपट्टे, सूट, चादरें विश्व भर में बहुत प्रसिद्ध हैं। इसके अतिरिक्त मंजे (लकड़ी के ढाँचे पर रस्सियों से बने हुए एक प्रकार के पलंग), पंजाबी जूतियाँ आदि भी प्रसिद्ध हैं। राजस्थान वस्त्रों, कीमती हीरे जवाहरात से जड़े आभूषणों, चमकते हुए बर्तनों, मीनाकारी, वड़ियाँ, पापड़, चूर्ण, भुजिया आदि के लिए जाना जाता है। आंध्रप्रदेश सिल्क की साड़ियों, केरल हाथी दांत की नक्काशी और शीशम की लकड़ी के फर्नीचर, बंगाल हाथ से बुने हुए कपड़े, तमिलनाडु ताम्र मूर्तियों एवं कांजीवरम साड़ियों, मैसूर रेशम और चंदन की लकड़ी की वस्तुओं, कश्मीर अखरोट की लकड़ी के बने फर्नीचर, कढ़ाई वाली शालों तथा गलीचों, असम बेंत के फर्नीचर, लखनऊ चिकनकारी वाले कपड़ों, बनारस जरी वाली सिल्क साड़ियों, मध्य प्रदेश चंदेरी और कोसा सिल्क के लिए प्रसिद्ध है। हस्तकला के क्षेत्र में रोजगार की अनेक संभावनाएं हैं। हस्तकला के क्षेत्र में निपुणता प्राप्त करके अपने पैरों पर खड़ा हुआ जा सकता है। इसमें निपुणता के साथ-साथ आत्मविश्वास, धैर्य व संयम की भी आवश्यकता रहती है। इस क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि जब आप उत्कृष्ट व अनूठी चीज़ बनाते हैं तो हस्तकला के प्रशंसकों की कमी नहीं रहती। अपने देश के साथ-साथ विदेशों में भी हाथ से बने सामान की माँग बढ़ती है। केन्द्रीय व राज्य सरकारों द्वारा भी हस्तकला को प्रोत्साहित किया जाता है।
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