बुरी संगत 
Buri Sangat



एक समय की बात है, एक गाँव में एक किसान रहता था। उसके पास एक छोटा सा खेत था। अपने खेत पर वह कड़ी मेहनत करके बहुत अच्छी फसल उगाता था। परन्तु कुछ समय से उसे एक कौवे ने बहुत परेशान कर रखा था। वह कौआ किसान के खेत के निकट ही एक पेड़ पर रहता था। जब फसल पककर तैयार हो जाती थी तो वह कौवा अपने सभी साथियों को बुलाकर फसल पर धावा बोल देता था और फसल को बहुत नुकसान पहुंचाता था। ब

हुत सोच-विचार करने पर किसान ने इस परेशानी से छुटकारा पाने का एक उपाय ढूँढ निकाला। एक रात किसान ने अपने खेत में जाल बिछा दिया और जाल के ऊपर अनाज के बहुत सारे दाने फैला दिए। पौ फटने पर जैसे ही कौवे की नजर अनाज के दानों पर पड़ी, तो उसने अपने सभी साथियों को अनाज पर धावा बोलने के लिए पुकारा। थोड़ी ही देर में खेत में बहुत सारे कौवे अनाज चुगने के लिए उतर आए। दुर्भाग्य से एक कबूतर भी उन कौवों के साथ खेत में अनाज चुगने आ गया और उन सभी कौवों के साथ किसान के बिछाए जाल में फंस गया। शाम को जब किसान खेत पर आया तो उन सारे कौवों को जाल में फंसा देखकर फूला ना समाया। वह बोला, "दुष्ट पक्षियो! तुमने मेरी फसल को बहुत नुक्सान पहुँचाया है। मेरी खून-पसीने की कमाई पर तुम हमेशा हाथ साफ करते रहे। आज तुम्हें अपने किए की सजा मिलेगी। दोबारा कोई भी कौआ इस प्रकार का दुस्साहस नहीं करेगा।" 

तभी किसान को गुटर यूँ की आवाज सुनाई दी। आवाज सुनते ही किसान ने जाल पर एक नजर दौड़ाई, उसे कौवों के बीच एक सफेद कबूतर फंसा हुआ दिखाई दिया। कबूतर बहुत डरा हुआ था। किसान को कबूतर पर बहुत दया आई क्योंकि वह जानता था कि कबूतर निर्दोष है और आज गलती से कौवों के साथ आ गया है। इसलिए वह जाल के पास गया और उसने बहुत सावधानीपूर्वक कबूतर को जाल से छुड़ा लिया। फिर वह कबूतर से बोला, "कभी भी दुष्ट पक्षियों की संगत में मत रहो। ये कुसंगति का ही परिणाम था कि तुम भी जाल में फंस गए। कुसंगति का नतीजा हमेशा बुरा होता है। आज तो मैं तुम्हें छोड़ रहा हूँ पर अब दुबारा ऐसी गलती मत दोहराना।" 

ऐसा कह कर किसान ने कबूतर को आसमान में छोड़ दिया। उड़ते हुए कबूतर ने किसान को धन्यवाद कहा। फिर किसान ने अपने खेत की रखवाली करने वाले कुत्तों को बुलाया और उन्हें कौवों का अंत करने के लिए खेत में छोड़ दिया। कुत्तों ने कौवों को खाकर दावत उड़ाई।

शिक्षाः बुरी संगत का बुरा परिणाम।