चरित्र-आचरण
Character and Conduct



मानवचरित्र कितना रहस्यमय है। हम दूसरों का अहित करते जरा भी नहीं झिझकते, किंतु जब दूसरों के हाथों हमें कोई हानि पहुंचती है तो हमारा खून खौलने लगता है।

प्रेमचंद


भगवान शारीरिक क्रिया से नहीं मिलते। भगवान को पाने के लिए भावना के अनुसार आचार होना चाहिए।

महात्मा गांधी


उत्तम व्यक्ति शब्दों में सुस्त और चरित्र में चुस्त होता है।

कन्फ्यूशियस


यदि नेता चरित्रवान नहीं है तो अनुयायियों में उसके प्रति श्रद्धा होना संभव नहीं है। शुद्ध चरित्र के आधार पर ही अटूट श्रद्धा और विश्वास पाया जा सकता है।

स्वामी विवेकानंद


शेर के अंदर भी परमात्मा विराजमान है, पर उसके सामने नहीं जाना चाहिए। दुष्ट मनुष्यों में भी ईश्वर मौजूद है, पर इसलिए उनका साथ करना उचित नहीं।

रामकृष्ण परमहंस


आचरण दर्पण के समान है। इसमें हर किसी का वास्तविक प्रतिबिंब दिखाई पड़ता है।

प्रेमचंद


अगर तुम सबको खुश रखना चाहते हो तो बुरी आदतों को छोड़ो।

अज्ञात


लोग क्या कहते हैं, इस पर ध्यान मत दो। सिर्फ यह देखो कि जो योग्य था, वह बन पड़ा या नहीं।

अज्ञात


किसी व्यक्ति की महानता की परख यह है क अपने से छोटे के लिए क्या सोचता और क्या करता रहा?

अज्ञात


जो पवित्र नहीं, उदार नहीं, उसका जपतप निरर्थक है।

अज्ञात