चरित्र-आचरण
Character and Conduct
अति अभिमान, बहुत बोलना, त्याग का अभाव, क्रोध, आत्मपोषण की इच्छा और मित्रद्रोह ये छः कारण हैं जिनसे पुरुष पूर्ण आयु तक जीवित नहीं रहता है।
महात्मा विदुर
कीर्तिमान मनुष्यों के लिए कीर्तिनाश की अपेक्षा मृत्यु कहीं श्रेयस्कर है।
गीता
संसार में रहो, किंतु संसार के मायामोह से निर्लिप्त रहो, उसी प्रकार जिस प्रकार कमल कीचड़ में विकसित होता है, तथापि वह कीचड़ के स्पर्श से परे रहकर सदैव निर्मल बना रहता है।
स्वामीजी
सदा अपने काम से काम रखो, व्यर्थ के विवाद में न पड़ो।
संत काशीराम
जो कर्ज आप पर है, उसे चुका दीजिए और तब आपको पता चलेगा कि आपके पास अपना क्या है।
बेंजामिन फ्रेंकलिन
जीतने वाले कोई अलग काम नहीं करते, वे हर काम अलग ढंग से करते हैं।
शिव खेड़ा
यश की प्राप्ति भले ही न हो किंतु अपयश होना उचित नहीं है।
राजशेखर
चापलूसी करना बहुत से लोग जानते हैं, लेकिन प्रशंसा करना किसीकिसी को ही आता है।
अज्ञात
अपना हृदय पवित्र रखोगे तो दस प्राणियों की ताकत रखोगे।
रामकृष्ण परमहंस
जब मनुष्य अपने अंदर युद्ध करने लगता है तब वह अवश्य ही किसी योग्य होता है।
राबर्ट ब्राउनिंग
0 Comments