देशभक्ति 
Deshbhakti



जब हम अपने जीवित रहने के अधिकार का पूरा मूल्य चुका देते हैं तभी आजादी पाते हैं।

रवींद्रनाथ ठाकुर


जब तक एक भी व्यक्ति आजादी से वंचित है तब तक कोई भी देश स्वतंत्र नहीं है।

जवाहरलाल नेहरू


कितनी ही राजनीतिक स्वतंत्रता हो, वह भूखी जनता की संतुष्ट नहीं कर सकती।

लेनिन


स्वतंत्रता का मूल्य निरंतर सावधानी है।

जे.पी. कुरन


स्वाधीनता विकास का प्रथम चरण है।

स्वामी विवेकानंद


स्वतंत्रता की तड़प आत्मा का संगीत है।

सुभाषचंद्र बोस



देश के लिए जरूरत है ऐसे निःस्वार्थ सेवकों की, जिन्हें न तो धन से खरीदा जा सके और न जिन्हें ताकत ही झुका सके।

लाला लाजपतराय


किसी से मेहरबानी मांगना अपनी आजादी बेचना है।

महात्मा गांधी


यदि किसी देशभक्त में मानवीयता कम है तो समझना चाहिए कि उसकी देशभक्ति में भी उस हद तक कमी है।

प्लूटो


मनुष्य स्वतंत्रता से सुख को प्राप्त करता है। स्वतंत्रता से परम तत्त्व को प्राप्त करता है। स्वतंत्रता से ही शक्ति को प्राप्त करता है तथा स्वतंत्रता ही उसे परम पद दिलाती है।

अष्टावक्र गीता