शिक्षा
Education



पानी से न डरना एक बात है और बिना तैरना जाने अथाह समुद्र में कूद पड़ना दूसरी बात है। दूसरी दशा में आदमी मूर्ख ही कहा जाएगा।

सर्वदानंद


चींटी से अच्छा कोई उपदेश नहीं दे सकता और वह मौन रहती है।

फ्रेंकलिन


मनुष्य को चाहिए कि यदि दीवार पर भी उपदेश लिखा हुआ मिले तो उसे अवश्य ग्रहण करे।

शेख सादी


सच्ची विद्या उस समय आरंभ होती है जब मनुष्य सब बाहरी सहारों को  छोड़कर अपनी भीतरी अनंतता की ओर ध्यान देता है।

स्वामी रामतीर्थ


पुस्तकों का संकलन ही आज के युग का वास्तविक विद्यालय है।

कार्लाइल


विद्या पुस्तक से नहीं मिलती, वरनु जीवनरूपी पुस्तक के अध्ययन से मिलती है, अनुभव से प्राप्त होती है।

लालजी राम


जो सीखता है मगर विद्या का उपयोग नहीं करता, वह किताबों से लदा भारवाहक पशु है।

शेख सादी


शिक्षा ईंट और चूने से बने मकान की भांति नहीं है, जिसका नक्शा मिस्त्री पहले से ही तैयार रखता है। शिक्षा वृक्ष की भांति है जो अपने जीवन की लय के साथ ताल मिलाकर उसके अनुरूप विकसित होता है।

रवींद्रनाथ ठाकुर


क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, इसका ज्ञान ही सही शिक्षा है, विद्या है।

अज्ञात


जिसने स्वयं को समझ लिया, वह दूसरों को समझाने नहीं जाएगा।

 अज्ञात