मेट्रो रेल
Metro Rail
महानगर दिल्ली एक नजर में देखे तो-बेलगाम बढ़ती जनसंख्या वाहनों की बेतहाशा वृद्धि-प्रदूषण सड़क दुर्घटनाओं के अनियंत्रित आँकड़े और न जाने क्या कुछ। सरकार की सारी कोशिशें अपनी जगह, तबाहियों का आलम अपनी जगह।
सबसे बड़ी समस्या जो दिल्ली महानगर की है वह ट्रैफिक जाम और सड़क दुर्घटनाएँ। इसी बीच मेट्रो रेल इन्हीं सकारात्मक कोशिशों को एक नवीनतम उदाहरण है। जापान कोरिया, हाँगकाँग, सिंगापुर जर्मनी एवं फ्रांस की तर्ज पर दिल्ली में इसे अपनाया गया। अभी तक इस शहर में सड़को की कुल लम्बाई बारह सौ अड़तालिस किलोमीटर है। यानि शहर के कुल जमीन में से इक्कीस प्रतिशत भाग पर सड़के फैली है। फिर भी मुख्य सड़कों पर वाहनों की औसत गति सीमा पन्द्रह किलोमीटर प्रतिघण्टा ही आँकी गई हैं इसका कारण है यहाँ वाहनों की संख्या।
वर्तमान जानकारी के अनुसार दिल्ली में लगभग 35 लाख वाहन है जो हर वर्ष दस प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ रहे है। इन कुल वाहनों में 90 प्रतिशत निजी है। निजी वाहनों का प्रयोग यहाँ के लोगो की मजबूरी है क्योंकि नगर सेवा के लिए जों परिवहन सुविधा उपलब्ध है वह पर्याप्त नहीं है।
मेट्रो रेल आधुनिक जन परिवहन प्रणाली है। जो शायद भविष्य में दिल्ली को इस भीषण समस्या से निपटने में मदद दे सके। मेट्रो रेल की योजना विभिन्न चरणों में सम्पन्न हो गही। कई चरण तो पूरे हो भी गये है और सफलतापूर्वक काम कर रहे हैं इसकी व्यवस्था अत्याधुनिक तकनीक से संचालित होती है। इसके कोच वातानुकूलित है। टिकट प्रणाली भी स्वचालित है। ट्रेन की क्षमता के अनुसार ही टिकट उपलब्ध होता है। स्टेशनों पर एस्केलेटर की सुविधा उपलब्ध है। मेट्रो लाइन को बस रूट के सामानान्तर ही बनाया गया है जिससे यात्रियों को मेट्रो से उतरने के बाद कोई दूसरा साधन प्राप्त करने में कठिनाई न हो।
मेट्रो योजना का प्रथम चरण शाहदरा से तीस हजारी, दूसरा चरण दिल्ली विश्वविद्यालय से न्यू आजादपुर, संजय गाँधी नगर (8-6कि.मी.) केन्द्रीय सचिवालय बसन्त कुंज (18.2 कि. मी.) और बाराखम्भा रोड इन्द्रप्रस्थ नोएडा (15.3 कि.मी.) लाईनों पर परिचालन शुरू हो चुका है। तथा आगे की लाईनों पर काम जोरो से चल रहा है।
मेट्रो रेल के दरवाजे स्वचालित है। हर आने वाले स्टेशनों की जानकारी दी जाती रहती है। वातानुकूलित डिब्बों में धूल मिट्टी से बचकर लोग सुरक्षित यात्रा कर रहे है।
ट्रैफिक जाम का कोई चक्कर नहीं। यात्रा में लगने वाला समय कम हो गया है। हर सचना स्क्रीन पर प्रदर्शित होती रहती है। किराया भी लगभग नगर बसों जैसा है।
भूमिगत लाईनों पर भी परिचालन प्रारम्भ हो चुका हैं कोरिया से आयातित मेट्रो रेलों का संचालन प्रशिक्षित कर्मचारी करते है। कुल मिलाकर दिल्ली के लिए एक नायाब तोहफा है दिल्ली मेट्रो रेल।
दिल्ली के समस्याओं के संदर्भ और दिल्ली मेट्रो रेल की सम्भावनाओं के परिप्रेक्ष्य में कहा जा सकता है कि निस्संदेह यह यहाँ के जीवन को काफी सहज कर देगी। यहाँ की यातायात प्रणाली के लिए एक वरदान साबित होगी।
0 Comments