मूर्ख कछुआ
Murakh Kachua
बहुत समय पहले की बात है। एक कछुआ था, जो किसी गांव में एक तालाब में रहता था। उसकी मित्रता दो बगुलों से थी। तीनों दोस्त एक साथ खूब मज़ा किया करते थे।
एक बार उनके गांव में बारिश नहीं हुई, जिस कारण वहां भयंकर सूखा पड़ा। नदी व तालाब सूखने लगे, खेत मुरझा गये। आदमी व पशु-पक्षी सब प्यास से मरने लगे। वह सब अपनी जान बचाने के लिये गावं छोड़कर दूसरे स्थानों पर जाने लगे।
बगुलों ने भी अन्य पक्षियों के साथ दूसरे जगह जाने का फैसला लिया। जाने से पूर्व वह अपने मित्र कछुए से मिलने गये । उनके जाने की बात सुनकर कछुए ने उनसे उसे भी अपने साथ ले चलने के लिए कहा। इस पर बगुलों ने कहा कि वह भी उसे वहां छोड़कर नहीं जाना चहाते, परन्तु मुशकिल यह है कि कछुआ उड़ नहीं सकता और वह उड़ कर कहीं भी जा सकते है।
उनकी बात सुनकर कछुआ बोला, कि यह सच है कि वह उड़ नहीं सकता। परन्तु उसके पास इस समस्या का हल है। कछुए की बात सुनकर बगुलों ने उससे तरीका पूछा।
कछुआ बोला, “तुम एक मज़बूत डडी ले आओ। उस डडी के दोनो कोनों को तुम अपनीअपनी चोंच से पकड़ लेना और मैं उस डडी को बीच में से पकड़कर लटक जाऊंगा। इस प्रकार मैं भी तुम्हारे साथ जा सकूँगा और हम अपनी जान बचा सकेंगे।"
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