छोटी बहिन का बड़ी बहिन को औपचारिक पत्र


दिल्ली। 

दिनांक 3 जनवरी, 


आदरणीय दीदी जी,

सादर नमस्ते । 

अत्र कुशलं तत्रास्तु । कल आपका शिकायत भरा पत्र मिला । मेरी ओर से पत्र न लिखने की शिकायत आपकी सच्ची है, उसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ । दीदी ! इसका कारण है समय का अभाव । अध्यवसाय और गृहस्थी दोनों में ही उलझकर रह गई हूँ। काफी समय रोटी-पानी में ही बीत जाता है और थोड़ा बहुत अध्यवसाय में । उनके दफ्तर से लौटने पर उनकी भी सुध-बुध लेनी पड़ती है। सच पूछो तो मेरी जिंदगी एक मशीन बन चुकी है, जो स्विच ऑन करते ही अपने कार्य में जुट जाती है।

छोड़ो, मैं भी क्या राम कहानी ले बैठी । बडी कठिनाई से तो पत्र लिखने का समय निकाला, उसमें भी अपना रोना धोना । अब अपनी कहो, कैसी हो ? जीजा जी और मुन्ना-मुन्नी तो पूर्णतया स्वस्थ हैं ना। इस बार परीक्षा उपरांत दोनों बच्चों को कुछ दिनों के लिए यहाँ भेज देना, उन्हें 'दिल्ली दर्शन' करा दूंगी।

मेरा जीजा जी को नमस्ते व बच्चों को मृदुल प्यार कहना । पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में । आपकी स्नेहमयी भगिनी,

शमा