पुत्र का पिता को परीक्षा में असफल हो जाने पर पत्र  का उत्तर ।


दिल्ली । 

दिनांक 15 जून, 


पूज्य पिता जी,

सादर प्रणाम । 

कल आपका सांत्वना भरा पत्र मिला। आपके पत्र ने मेरे हृदय से उदासीनता के मेघों को एकदम हटा दिया। आप जैसे उदारचेता पिता को पाकर भी मैं प्रमाद में डूबा रहा । आपकी गाढ़ी पसीने की कमाई को मैं पानी की तरह बहाता रहा । समय के सदुपयोग को भुलाकर गुलछरें उड़ाता रहा। उसी का यह दुष्परिणाम मुझे मिला है। पर अब मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि अभी से पढ़ाई में दिन-रात एक कर दूंगा और आपके शुभाशीर्वाद से परीक्षा में प्रथम आकर दिखाऊँगा। आपने ठीक ही लिखा है कि विषयों की कमजोरी इस वर्ष निकल जाएगी । परिवार के सभी सदस्यों से मिलने के लिए मैं यथाशीघ्र घर आऊँगा । मेरे लिए आप किसी प्रकार की चिंता न करें। माता जी को नमस्ते व मुन्नी और गुड्डू को मेरा प्यार कह देना । 

आपका आज्ञाकारी पुत्र, 

रोहित