छोटे भाई को कुसंगति की हानियाँ बताते हुए पत्र।



रामनिवास, 

चंडीगढ़ । 

दिनांक 14 नवम्बर,


प्रिय कपिल, 

चिरंजीव रहो !

अत्र कुशलं तत्रास्तु । अभी-अभी तुम्हारे विद्यालय के प्रधानाचार्य महोदय का पत्र प्राप्त हुआ । यह पढ़कर बहुत दुख हुआ कि आजकल तुम कुसंगति के ज्वर से ग्रस्त हो । इसी कारण से इस वर्ष का तुम्हारा परीक्षा परिणाम भी असंतोषजनक रहा है । कपिल। अभी तुम निरे बच्चे हो। तुम इस बात से भी अनभिज्ञ हो कि यही अवस्था तुम्हारे जीवन के निर्माण की है । यदि इस अमूल्य समय को तुम कुसंगति में खो दोगे और बुरी आदतों के शिकार हो जाओगे तो फिर जीवन भर भटकते रहोगे, सफलता तुमसे किनारा कर जाएगी।

बंधु । कुसंगति का ज्वर सबसे भयानक होता है । यह एक काजल की कोठरी के समान है । चाहे कितना ही बुद्धिमान व्यक्ति इसमें प्रविष्ट हो, वह उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता । जो कुसंगति में ग्रस्त हो जाते हैं, वे अपने समय और धन को व्यर्थ ही नष्ट करते हैं तथा बाद में पश्चाताप करते हैं। कुसंगति बुरी आदतों को जन्म देती है। झूठ बोलना, चोरी करना, शराब पीना, जुआ खेलना, विलासिता आदि उसके क्रिया कलाप हैं । जो इनको एक बार अंगीकार कर लेता है, वह फिर जीवन-भर इनसे मुक्त नहीं होता है । ऐसे व्यक्ति से लोग घृणा करने लगते हैं । विश्वास उठ जाता है। यहाँ तक कि परिवार के सदस्य भी उससे कोसों दूर भागते हैं और उनके मन में भी उसके प्रति घृणा उपज आती है । हर स्थान पर उसका असम्मान होता है और कोई उससे सहानुभूति नहीं दर्शाता । यहाँ तक कि साधारण से साधारण व्यक्ति भी उसके साथ दुर्व्यवहार करने में नहीं चूकते । ऐसे व्यक्ति का जीवन निष्फल और बहुत ही कष्टमय हो जाता है।

शिक्षार्थियों पर इसका प्रभाव और भी अधिक कटु होता है । इससे ग्रस्त कोई भी शिक्षार्थी, चाहे वह कितना ही कुशाग्र बदधि क्यों न हो, विद्याभ्यास नहीं कर पाता है ? बुरी आदतों से बुद्धि का हास हो जाता है। वह हर वर्ष परीक्षा में असफलता के कदम चूमता है। उसके परिवार के सदस्य ही नहीं बल्कि उसके गुरुजन भी उससे घृणा करने लगते हैं। फलतः उसकी गाडी बीच में ही रह जाती है। ऐसे पुत्रों एवं पुत्रियों के विवाह-संबंध भी बड़ी कठिनाई से हो पाते हैं। उन्हें संपत्ति के उत्तराधिकार से भी वंचित कर दिया जाता है। इस स्थिति में उनका जीवन नारकीय बन जाता है और वे शीघ्र ही मृत्यु के चंगुल में फँस जाते हैं।

कपिल ! कुसंगति से हानियाँ बहुत हैं, किंतु उनमें से जो कुछ हानियों के विषय में तुम्हें लिखा है, उन्हीं से शिक्षा ग्रहण कर इसकी राह छोड़ दोगे और एक आदर्श विद्यार्थी बनने का प्रयास करोगे। मुझे आशा है कि भविष्य में इस प्रकार की शिकायत तुम्हारी ओर से कदापि नहीं पहुँचेगी।

तुम्हारा अग्रज,

रवि