पौत्र का पत्र दादा के नाम ।



दिल्ली। 

दिनांक 

24 अक्टूबर, .... 


पूज्य दादा जी, 

सादर प्रणाम ।

अत्र कुशलं तत्रास्तु । आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि मैं कल से पंजाब नेशनल बैंक, दरियागंज शाखा में एकाउंटेंट के रूप में कार्य करने लगा हूँ । वेतन भी अच्छा है और बैंकों का राष्ट्रीयकरण हो जाने से भविष्य भी उज्ज्वल है । काम में भी धीरे-धीरे मन लगता जा रहा है। अब मेरी प्रबल इच्छा है कि आप भी ग्राम छोड़कर मेरे पास ही दिल्ली में वास करें ताकि आपकी छत्रछाया में रहकर मैं जीवन को और भी सफल बना सकूँ और आपकी सेवा करके पुण्य लाभ उठा सकूँ । चाचा जी व चाची जी को नमस्ते तथा छोटों को प्यार पहुँचे । 

पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में ।

आपका प्रिय पौत्र, 

राकेश