विद्यालय में मेरा पहला दिन 
Vidyalaya mein Mera Pehla Din



मनुष्य के जीवन में शिक्षा का अत्यधिक महत्व है तथा यह मनुष्य को नौकरी या रोजगार दिलाने में ही सहायक नहीं होती बल्कि इंसान को जीवन जीने के बेहतर तौर-तरीके भी सिखाती है। पहले पाठशालाओं, गुरुकुलों तथा मदरसों में शिक्षा प्रदान की जाती थी। किन्तु वर्तमान समय में विद्यालय, कॉलेज, पब्लिक स्कूल शिक्षा प्रदान करने का मुख्य केन्द्र हो गये हैं।


मैं भी एक विद्यार्थी हूँ। मेरा नाम विकास कुमार है तथा मैं सेण्ट डेविड विद्यालय की कक्षा छ: का छात्र हूँ। इस विद्यालय का पहला दिन मेरे लिये यादगार बन गया है। मैंने सन् 2006 की 3 जुलाई को इस विद्यालय में प्रवेश किया। चार जुलाई को मैं प्रथम बार इस विद्यालय में आया। सबसे पहले मैं प्रार्थना भवन गया जहाँ प्रधानाचार्य ने विद्यालय की प्रार्थना आयोजित की तथा बच्चों को सत्य तथा प्रेम का सन्देश दिया। उसके बाद मुझे कमरा नम्बर 23 में जाने को कहा गया जहाँ कक्षा छ: के छात्र बैठते हैं। कक्षा के अन्य छात्र मुझे बड़ी उत्सुकता से देख रहे थे। तभी हमारे हिन्दी अध्यापक श्री अनूप वर्मा आये तथा उन्होंने मेरा परिचय पूरी कक्षा से करवाया। उन्होंने संजय तथा रोहित नाम के मेरी कक्षा के दो छात्रों से मेरी मित्रता भी करा दी। वे दोनों बहुत अच्छे छात्र थे। हमारी कक्षा में छ: घण्टे लगते हैं। तीन घण्टों के बाद मध्यावकाश हो जाता है। मध्यावकाश में मैंने समोसे तथा फल लेकर खाये, थोड़ी देर खेला भी। 


फिर मैं अपने विद्यालय के पुस्तकालय चला गया। वहाँ के पुस्तकालय अध्यक्ष को अपना परिचय दिया तथा पढ़ने के लिये उस दिन का समाचार पत्र माँगा। मैंने वहाँ काफी देर तक खेल तथा राजनैतिक समाचार पढ़े। फिर चौथे घण्टे के लिये घण्टा बजा और मध्यावकाश खत्म हो गया। मैं फिर अपनी कक्षा में आकर बैठ गया। आने वाले सभी अध्यापकों का व्यवहार अत्यंत अच्छा तथा प्रभावपूर्ण था। हर अध्यापक मुझसे मेरा नाम, माता-पिता का नाम तथा निवास स्थान पूछते तथा मेरा कक्षा के अन्य विद्यार्थियों से परिचय करवाते तथा मन लगाकर पढ़ाई करने का निर्देश देते थे। जब सभी घण्टे खत्म हो गये तथा छुट्टी हो गयी। सभी नये विद्यार्थियों को प्रार्थना भवन में बुलाया गया तथा अध्यापकों को हमारे नाम बताये गये। इस प्रकार विद्यालय में मेरा पहला दिन अत्यंत रोमांचक और अनुभव भरा रहा।