एक देश अनेक भाषाएँ  

Ek Desh Anek Bhashaye

‘भाषा’ के प्रभावी माध्यम से मनुष्य अपने भावों- विचारों को दसरे मनु ू ष्यों तक स्पष्टतापूर्वक पहुंचाने में सफल है। मनुष्यों ने संप्रेषण के लिए पहली बार भाषारूपी व्यवस्थित प्रणाली कब अपनाई, इस बारे में निश्चित रूप से बता पाना मुश्किल है। दरअसल, ‘भाषा’ कई रूपों में हमारे सामने है, जिसमें बोलना, इशारे करना और लेखन शामिल हैं। इसमें भाषा के लिखित रूप के साक्ष्य तो उपलब्ध हैं लेकिन भाषा के मौखिक रूप के ठोस प्रमाण हमारे पास उपलब्ध नहीं हैं। तथापि, हम यह अनुमान लगा सकते हैं कि भाषाएँ हजारों वर्षों से हमारे जीवन का अहम अंग रही हैं, जो हमारी बदलती दनिु या के साथ परिवर्तित, विकसित और स्पष्ट होती रही है। ऐसा माना जाता है कि आरंभिक भाषाएँ सरल थीं, जिनमें भोजन, पानी और आवास जैसी बुनियादी आवश्यकताओ को सं ं प्रेषित करने के लिए कु छ सरल ध्वनियों और संके तों का उपयोग किया जाता था। समय के साथ, मानव समाज और आवश्यकताओ के अधिक ं जटिल और व्यापक होने के कारण भाषाएँ विकसित और विविध हुईं। भाषा एक बहती नदी के समान है, जो जहां से भी गुज़रती है वहां की दसर ू ी चीज़ों को अपने साथ समेटते हुए आगे बढ़ती है। जिस प्रकार नदी की एक ही धारा से कई धाराएं निकलती हैं, इसी तरह एक ही भाषा से ना जाने कितनी भाषाओ का जन्म ह ं ुआ है। लैटिन से इटैलियन, फ्रेंच, स्पेनिश, रोमानियन और पुर्तगाली भाषाएँ निकली हैं, जबकि संस्कृत से हिदी ं और दसर ू ी भारतीय भाषाओ का जन्म ह ं ुआ। इसी तरह दक्षिण अफ्रीका में बोली जाने वाली भाषा ‘अफ्रीकान्स’ भी डच भाषा से निकली है। दनिु या में आज जितनी भी भाषाएँ हैं, वो किसी न किसी पुरानी भाषा से पैदा हुई हैं।


7000 से अधिक जीवित भाषाएँ  


एथनोलॉग के अनुसार, आज विश्व में 7168 भाषाओ के 1000 से कम उपयोगक ं र्ता शेष हैं। दसर ू ी तरफ, दनिु या की आधी से अधिक आबादी इनमें से सिर्फ 23 भाषाओ में से एक ं का उपयोग करती है। अन्य सभी महाद्वीपों की तुलना में, एशिया महाद्वीप में सबसे अधिक 32% (लगभग 2,314) भाषाएँ बोली जाती हैं। अफ़्रीकी महाद्वीप में 30% (लगभग 2,158) भाषाएँ बोली जाती हैं। इन दोनों महाद्वीपों में विश्व की दो तिहाई भाषाएँ बोली जाती हैं। वहीं प्रशांत महाद्वीप में 18.5% (1,324) जबकि अमेरिका में 15% (1,064) और यूरोप में 4% (291) भाषाएँ मौजूद हैं। बोलने वालों की संख्या के लिहाज से एशिया में 4.316 बिलियन, यूरोप में 1.77 बिलियन, अफ़्रीका में 1.15 बिलियन लोग हैं।


एक देश अनेक भाषाएँ  


पूरे विश्व में भाषाओ का संवितरण असमान है। ं एक देश में सैंकड़ों भाषाओ के बोलने ं वाले लोग रहते हैं, एक देश में बोली जाने वाली भाषाओ की संख् ं या के लिहाज से विश्व में पापुआ न्यू गिनी सबसे अधिक भाषाई विविधता वाला देश है। इस अके ले देश में पूरे यूरोप महाद्वीप में बोली जाने वाली भाषाओ से ं भी अधिक भाषाएँ (840) बोली जाती हैं। इसके बाद इंडोनेशिया की बारी आती है, जहां 415 भाषाएँ बोली जाती हैं। नाइजीरिया में 527 भाषाएँ और भारत में 456 भाषाएँ बोली जाती हैं। इनके बाद अमेरिका (337), ऑस्ट्रेलिया (317), चीन (307), मैक्सिको (301), कै मरून (277) एवं ब्राज़ील (238) का स्थान आता है।


सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा 



चीन की विशाल जनसंख्या के कारण एक नृवंशीय (native) समूह के वक्ताओ के आ ं धार पर सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा मंदारिन है। जबकि बोलने वालों की संख्या के आधार पर अँग्रेजी विश्व की सबसे बड़ी भाषा है। इसमें अँग्रेजी मातृभाषा वालों के साथ ही दसर ू ी व तीसरी भाषा के रूप में अँग्रेजी बोलने वालों की संख्या भी शामिल है। अँग्रेजी के व्यापक प्रसार का कारण ब्रिटिश औपनिवेशिक साम्राज्य का विस्तार और अमरीकी संस्कृति का प्रचार है। अँग्रेजी और मंदारिन के बोलने वालों पर नज़र डालें तो हम पाते हैं कि अँग्रेजी जहां 146 देशों में बोली जाती है, वहीं मंदारिन केवल 38 देशों में ही बोली जाती है। बोलने वालों की संख्या के आधार पर 10 सबसे बड़ी भाषाओ में अँ ं ग्रेजी और मंदारिन के साथ हिन्दी, स्पैनिश, फ्रेंच, अरबी, बांग्ला, पुर्तगाली, रूसी और उर्दू शा र्दू मिल हैं।


विश्व की सबसे पुरानी भाषा?  



विश्व की सबसे प्राचीन भाषा कौन-सी है? इस प्रश्न का उत्तर केवल भाषाई जिज्ञासा से नहीं जुड़ा है, बल्कि मनुष्य के अतीत से जुड़ा है। प्राचीन भाषाएँ , जीवित और मृत दोनों, सदियों से चली आ रही मानवीय अंतःक्रियाओ को ं आपस में जोड़ती हैं। अतः हम इन भाषाओ के ं माध्यम से मानव इतिहास का पता लगा सकते हैं। कई भाषा वैज्ञानिक कु छ मामलों में, भाषा की जानकारी को अतीत के बारे में जानकारी का एकमात्र विश्वसनीय स्रोत मानते हैं। इसका मतलब है कि दनिु या की सबसे पुरानी भाषा का निर्धारण करने या जीवित भाषाओ के विकास ं का पता लगाने के लिए, भाषाविदों को उन सवालों से जूझना होगा, जो भाषा से परे हैं। इसलिए अधिकांश भाषा वैज्ञानिक इसे एक जटिल कार्य मानते हैं और अलग-अलग निष्कर्ष पर पहुँचते हैं। कु छ भाषाविद यह मा ् नते हैं कि सभी भाषाओं का जन्म एक ही भाषा से हुआ है, इस प्रकार सभी भाषाएँ समान रूप से प्राचीन भाषाएँ हैं लेकिन यह सिद्धांत वैज्ञानिक प्रतीत नहीं होता। वहीं, कु छ भाषाविदों का तर्क है कि "सबसे प्राचीन भाषा" एक सुस्थापित लिखित रिकॉर्ड वाली भाषा होनी चाहिए। लेखन के शुरुआती प्रलेखित उदाहरण उन भाषाओ से ं आते हैं जिनमें क्यूनिफॉर्म लिपि (कीलाक्षर) का उपयोग किया जाता था। इसमें भाषा की अभिव्यक्ति चित्रों द्वारा होती थी। ये चित्र मेसोपोटामिया में कीलों से नरम ईंटों पर अंकित किए जाते थे। इन भाषाओ में सुमेर ं ियन और अक्काडियन हैं, जो कम से कम 4,600 वर्ष पुरानी हैं। इतिहासकार और भाषाविद् आम तौर पर इस बात से सहमत हैं कि सुमेरियन, अक्कादियन और मिस्र स्पष्ट लिखित रिकॉर्डवाली सबसे पुरानी भाषाएँ हैं। आज यह तीनों भाषाएँ विलुप्त हो गई हैं, मतलब अब उनका उपयोग नहीं किया जाता है और इन भाषाओ को बोलने ं वाला कोई जीवित नहीं हैं जो भाषा को अगली पीढ़ी तक ले जा सके । जहाँ तक सबसे प्राचीन लेकिन अभी भी बोली जाने वाली भाषा का प्रश्न है, कई दावेदार सामने आते हैं। हिब्रू और अरबी ऐसी भाषाओं में से हैं, भाषाविद ज ् िनकी समय-सीमा का निर्धारण कर सकते हैं। हालाँकि इन भाषाओं का सबसे पहला लिखित प्रमाण लगभग 3,000 साल पुराना है, लेकिन हाइबर का कहना है कि दोनों अफ़्रोएशियाटिक भाषा परिवार से संबंधित हैं, जिनकी जड़ें 18,000 से 8,000 ईसा पूर्व या लगभग 20,000 से 10,000 साल पहले की हैं। इस समय सीमा के साथ भाषाविद् व्यापक रूप से अफ़्रोएशियाटिक को सबसे पुरानी भाषा परिवार के रूप में स्वीकार करते हैं। लेकिन उस सटीक बिदं जुिस पर हिब्रू और अरबी अन्य अफ्रीकी भाषाओ से अलग हो गए, उस पर ं  विवाद है। भाषाविद इस सूच ् ी में चाइनीज भाषा को जोड़ते हैं। यह भाषा संभवतः 4,500 साल पहले प्रोटो-चीनी तिब्बती, जो बर्मी और तिब्बती भाषाओ की पू ं र्वज है, से उत्पन्न हुई है। चाइनीज लेखन प्रणाली का सबसे पहला प्रलेखित साक्ष्य कछु ए के खोल और जानवरों की हड्डियों पर शिलालेखों से मिलता है, जो लगभग 3,300 वर्ष पुराने हैं। हालाँकि, आधुनिक चीनी अक्षर कु छ सदी पहले ही अस्तित्व में आए हैं। विश्व की सबसे पुरानी भाषाओ की सूच ं ी में दो भारतीय भाषाएँ संस्कृत और तमिल भी शामिल हैं। इन दोनों भाषाओ का इ ं तिहास अत्यंत समृद्ध है। संस्कृत का इतिहास लगभग 3500 साल पुराना है। यह प्राचीन इंडो-आर्यन भाषा है, जिसे सबसे पुरानी निरंतर भाषा परंपरा माना जाता है, अर्थात वह भाषा, जो अभी भी साहित्य का निर्माण कर रही है और लोग इसे बोलते हैं। वियॉन के अनुसार, तमिल जीवित भाषाओ में सबसे पुरान ं ी लिखित परंपराओ में से एक है, जबक ं ि संस्कृत को दनिु या की सबसे पुरानी दर्ज की गई भाषाओं में से एक के तौर पर मान्यता दी गई है।


सांकेतिक एवं लिखित भाषाएँ  


कुछ भाषाएँ बोल कर नहीं बल्कि मानवीय संके तों द्वारा व्यक्त की जाती हैं, ये संके त भाषाएँ कहलाती हैं। ये भाषाएँ इस मायने में अनूठी हैं कि वे बोले गए शब्दों के बजाय हाथ  के इशारों, मुख-विन्यास और शारीरिक हाव- भावों का उपयोग करती हैं। प्रत्येक संके त  भाषा का अपना व्याकरण और वाक्य-विन्यास होता है, जो उन्हें बोली जाने वाली भाषाओ से ं अलग बनाता है। विश्व में कितनी भाषाएँ लिखित रूप में हैं, इस पर भी अनिश्चितता है। निकटतम अनुमान लगभग 300 भाषाओ का ं हैं। सांकेतिक भाषा विश्व स्तर पर स्वीकृ त नहीं है, कु छ देश सांकेतिक भाषाओ के उपयोग की ं अनुमति देते हैं।


खतरे में भाषाएँ  


आज विश्व में 3,045 भाषाएँ खतरे में हैं। जिस प्रकार विश्व की कु ल भाषाओ की संख् ं या निरंतर बदल रही है, उसी प्रकार यह संख्या भी निरंतर परिवर्तनशील है। कोई भाषा तब संकट में आ जाती है, जब कोई समुदाय नई पीढ़ी के बच्चों को अपनी भाषा से इतर किसी दसर ू ी प्रभावशाली भाषा में पढ़ाना और बात करना शुरू कर देता है। आज अनेक भाषाएँ खतरे में हैं और ऐसा अनुमान है कि विश्व की आधी से अधिक भाषाएँ वर्ष 2100 तक विलुप्त हो जाएं गी। अगले 40 वर्षों में चार हजार से अधिक भाषाओ के ख ं त्म होने का खतरा मंडरा रहा है। यूनेस्को द्वारा जारी भाषाई एटलस के अनुसार 1950 से अब तक दनिु याभर में 230 भाषाएँ विलुप्त हो गई हैं। यूनेस्को ने 2001 में पहली बार जब एटलस जारी किया था, तब 900 भाषाओ पर विलुप् ं ति का खतरा पाया था, लेकिन 2017 में अद्यतन एटलस बताता है कि ऐसी भाषाओ की संख् ं या 2,464 तक पहुंच गई हैं। भाषाओ का संसार आकर्षक है। समृ ं द्ध इतिहास, सांस्कृतिक महत्व और अपनी विशेषता के कारण प्रत्येक भाषा सुंदर और विलक्षण है। हमारे लिए भाषा अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमारे विचारों, भावनाओ, ं संस्कृति और ज्ञान की अभिव्यक्ति को सक्षम बनाती है। यह मानवीय संपर्क, समझ और प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए सामाजिक संपर्क, सूचना के प्रसारण और विरासत के संरक्षण की सुविधा प्रदान करती है। भाषाओ पर संकट से जु ं ड़े एक शोध से जुड़े शोधकर्ता प्रोफे सर लिंडेल ब्रोमहैम कहते हैं कि दनिु या की ज्ञात भाषाओ में से ं लगभग आधी भाषाएँ संकट में हैं। वे आगे कहते हैं कि यदि इन भाषाओ को बचाने के ं लिए तत्काल प्रयास न किए गए तो अगले 40 वर्षों में भाषाओ को होने ं वाला नुकसान बढ़कर तीन गुना हो सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरिच के शोधकर्ताओ द्ं वारा किए एक शोध से पता चला है कि जैसे-जैसे स्थानीय पारम्परिक भाषाई विविधता खत्म हो रही है, उसके साथ ही सदियों पुराने उपचार और औषधीय ज्ञान भी समाप्त होता जा रहा है। हमें समझना होगा कि हम उस भाषा के साथ अपनी मानव सांस्कृतिक विविधता का एक हिस्सा भी खो देते हैं। ‘हकु ना मटाटा’ पूर्वी अफ्रीका की भाषा ‘स्वाहिली’ का एक शब्द है, जिसका मतलब है- ‘कोई चिंता नहीं’। डिज़्नी फिल्म ‘द लायन किंग’ में कई ‘स्वाहिली’ शब्दों का उपयोग किया गया है, जिनमें 'सिम्बा' (शेर), 'रफ़ीकी' (दोस्त) और 'नाला' (उपहार) शामिल हैं। इस फिल्म के प्रसिद्ध गीत ‘सर्कल ऑफ लाइफ’ की शुरुआती कु छ पंक्तियां एक अन्य बंटू भाषा ‘जुलु’ में हैं, उसके बाद अंग्रेजी के बोल हैं। किस्वाहिली, जिसे स्वाहिली भी कहते हैं, पूर्वी अफ्रीका में बोली जाने वाली एक बंटू भाषा है। बंटू भाषा परिवार अफ्रीका के सबसे बड़े भाषा समूहों में से एक है। किस्वाहिली सिर्फ एक भाषा नहीं है, यह पूर्वी अफ्रीकी संस्कृति का एक अनिवार्यहिस्सा है। इस भाषा में पारंपरिक गीत, कविता और कहानी कही जाती हैं। यह हिदं महासागर तट से लगे दक्षिणी सोमालिया से लेकर कोमोरोस द्वीप सहित, उत्तरी मोजाम्बिक में रहने वाले विभिन्न जातीय समूहों द्वारा बोली जाने वाली भाषा है। यह भाषा लगभग एक करोड़ लोगों की मातृभाषा है, चार देशों की राष्ट्रीय/आधिकारिक भाषा है तथा अफ्रीकी संघ की आधिकारिक भाषाओ में ं एकमात्र अफ्रीकी मूल की भाषा है। केन्या, तंजानिया, युगांडा, रवांडा, बुरुं डी और कांगो  लोकतांत्रिक गणराज्य और सोमालिया के कु छ हिस्सों सहित कई देशों में इसे बोला जाता है। स्वाहिली बोलने वालों की संख्या, चाहे वे मूल भाषा बोलने वाले हों या दसर ू ी भाषा, कु ल- मिलाकर लगभग 80 मिलियन होने का अनुमान है। उच्चारण और शब्दावली में भिन्नता के साथ किस्वाहिली की कई बोलियाँ हैं। इस भाषा ने व्यापारिक व सांस्कृतिक संबंधों के कारण अरबी, अंग्रेजी और अन्य भाषाओ से भ ं ी शब्द लिए हैं। प्रतिवर्ष 7 जुलाई को विश्व किस्वहिली भाषा दिवस के रूप में मनाया जाता है।