बाल मजदूरीBal Majduri
अपने देश के लिये सबसे जरुरी
संपत्ति के रुप में बच्चों को संरक्षित किया जाता है जबकि इनके माता-पिता की गलत
समझ और गरीबी की वजह से बच्चे देश की शक्ति बनने के बजाए देश की कमजोरी का कारण बन
रहे है। बच्चों के कल्याण के लिये कल्याकारी समाज और सरकार की ओर से बहुत सारे
जागरुकता अभियान चलाने के बावजूद गरीबी रेखा से नीचे के ज्यादातर बच्चे रोज बाल
मजदूरी करने के लिये मजबूर होते है।
किसी भी राष्ट्र के लिये बच्चे
नए फूल की शक्तिशाली खुशबू की तरह होते है जबकि कुछ लोग थोड़े से पैसों के लिये
गैर-कानूनी तरीके से इन बच्चों को बाल मजदूरी के कुँएं में धकेल देते है साथ ही
देश का भी भविष्य बिगाड़ देते है। ये लोग बच्चों और निर्दोष लोगों की नैतिकता से
खिलवाड़ करते है। बाल मजदूरी से बच्चों को बचाने की जिम्मेदारी देश के हर नागरिक
की है। ये एक सामाजिक समस्या है जो लंबे समय से चल रहा है और इसे जड़ से उखाड़ने
की जरुरत है।
देश की आजादी के बाद, इसको जड़ से उखाड़ने के लिये कई सारे
नियम-कानून बनाए गये लेकिन कोई भी प्रभावी साबित नहीं हुआ। इससे सीधे तौर पर
बच्चों के मासूमियत का मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और बौद्धिक तरीके से विनाश हो रहा है।
बच्चे प्रकृति की बनायी एक प्यारी कलाकृति है लेकिन ये बिल्कुल भी सही नहीं है कि
कुछ बुरी परिस्थितियों की वजह से बिना सही उम्र में पहुँचे उन्हें इतना कठिन श्रम
करना पड़े।
बाल मजदूरी एक वैशविक समस्या है
जो विकासशील देशों में बेहद आम है। माता-पिता या गरीबी रेखा से नीचे के लोग अपने
बच्चों की शिक्षा का खर्च वहन नहीं कर पाते है और जीवन-यापन के लिये भी जरुरी पैसा
भी नहीं कमा पाते है। इसी वजह से वो अपने बच्चों को स्कूल भेजने के बजाए कठिन श्रम
में शामिल कर लेते है। वो मानते है कि बच्चों को स्कूल भेजना समय की बरबादी है और
कम उम्र में पैसा कमाना परिवार के लिये अच्छा होता है।
बाल मजदूरी के बुरे प्रभावों से
गरीब के साथ-साथ अमीर लोगों को भी तुरंत अवगत कराने की जरुरत है। उन्हें हर तरह की
संसाधनों की उपलब्ता करानी चाहिये जिसकी उन्हें कमी है। अमीरों को गरीबों की मदद
करनी चाहिए जिससे उनके बच्चे सभी जरुरी चीजें अपने बचपन में पा सके। इसको जड़ से
मिटाने के लिये सरकार को कड़े नियम-कानून बनाने चाहिए।
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