भाखड़ा बाँध
Bhakhra Dam
प्ंजाब भारत का
एक उपजाऊ राज्य है। पाँच नदियों के इस प्रदेश गेहूँ का सबसे अधिक उत्पादन होता है।
देश के अन्न संकट को दूर करने में एक बड़ी सीमा तक इस प्रदेश ने सहयोग दिया है। इस
क्षेत्र के प्राकृतिक साधनों का और अधिक उपयोग करके उसे और हरा-भरा बनाने के लिए
भाखड़ा नांगल परियोजना का निर्माण किया गया है।
स्तलज नदी पंजाब
के भाखड़ा गाँव के पास दो पहाड़ियों के मध्य से होकर बहती है। सतलज नदी का पाट इस
क्षेत्र में आकर बहुत संकरा हो गया है। ये दोनो ही पहाड़ियाँ ऊँची और लंबी है। इसी
का लाभकर विशेषज्ञों ने इस स्थान पर बाँध बनाकर पानी रोक देने से एक विशाल झील बन
गई है। इस झील द्वारा रोके गए पानी का वर्षभर सिंचाई और विद्युत के उत्पादन में
किया जाता है।
भारत में बनाए गए
अधिकतर बाँध पानी रोककर उसे नहरों में वितरित करने का काम एक साथ करते है। लेकिन
इस परियोजना में पानी रोकने के लिए भाखड़ा नामक स्थान पर एक बाँध बनाया गया है और
नहरों में पानी को वितरित करने के लिए भाखड़ा से कुछ नीचे नांगल नामक स्थान पर
दूसरा बाँध बनाया गया है, जिसे नांगल बाँध
के नाम से जाना जाता है।
सबसे पहले नांगल
बाँध बनाया गया और इससे एक बड़ी नहर निकाली गई जो कि पंजाब को हरा-भरा बनाती हुई
राजस्थान तक आती है।यह नहर राजस्थान के बीकानेर जिले तक आती है। मैदानी भूमि में
बनाई जाने वाली नहरें मिट्टी की बनाई जाती है। इनमें पानी भूमि द्वारा सोखा नही
जाता है। जबकि मरुभूमि में नहर बनाने पर जल को रेतीली भूमि सोख लेती है। इसलिए नांगल
बाँध से निकाली गई नहर को रेगिस्तानी भाग में पूर्णतः सीमेण्ट से बनाई गई है।
इसलिए इसके निर्माण में समय और धन दोनों ही अधिक लगा है।
इस बाँध के
निर्माण में आधुनिकतम यंत्रों और उपकरणों का उपयोग किया गया है। बाँध के निर्माण
में काम आने वाली मिट्टी लगभग 7 कि.मी. दूर से
लाई गई थी। इस दूरी को तय करने में एक स्वचालित बैल्ट का प्रयोग किया गया था। इतनी
लंबी बैल्ट का प्रयोग सबसे पहले इसी योजना में किया गया था। भाखरा बाँध के निर्माण
के समय रेत, सीमेण्ट, पानी और कंकर मिलाने के लिए बड़े-बड़े स्वचालित
यंत्र स्थापित किये गये थे।
आजकल बाँध बनाते
समय उनको अन्दर से खोखला रखा जाता है। और उनमें सुरंग बनाई जाती है। इस सुरंग का
प्रयोग बाँध की स्थिति का अध्ययन करने में किया जाता है। नांगल बाँध में इस तरह की
सुरंग का निर्माण किया गया है। इस सुरंग में से 2-3 आदमी एक साथ गुजर सकते है। सुरंग में थोड़ा बहुत पानी भी
टपकता रहता है। लेकिन यदि किसी जगह से अधिक पानी टपकने लगे तो इंजीनियर तुरंत ही
सीमेंट लगाकर वहाँ से बाँध को मजबूत कर देते है। इस सुरंग से टपकने वाले पानी को
नाली बनाकर एक गड्डे में इकट्ठा किया जाता है और फिर उसे पंप की सहायता से बाहर
निकाल दिया जाता है।
भाखड़ा नांगल एक
बहुउद्देशीय परियोजना है। लाखों एकड़ भूमि की इसके पानी से सिंचाई की जाती है।
व्यर्थ बह जाने वाला बारिश का पानी अब वर्ष भर भाखड़ा झील में इकट्ठा होता है। इस
पानी का हम अपनी आवश्यकतानुसार उपयोग कर सकते है। भाखड़ा बाँध के दोनो किनारों पर
विद्युत गृह बनाये गये है। और एक विद्युत गृह नांगल बाँध पर भी बनाया गया है,
जिससे उत्पन्न बिजली को दिल्ली तक भेजा जाता
है।
बाँध के बन जाने
से बाढ़ पर भी नियन्त्रण हो गया है। बाढ़ के कारण नदी के तटों पर बसे गाँवो को जिस
संकट का सामना करना पड़ता था वह समाप्त हो गया है। अब बाँध में नदी के पानी को
इकट्ठा करके नियंत्रित मात्रा में ही छोड़ा जाता है। सतलज नदी के तट के निवासियों
का अब बाढ़ का कोई डर नही रहता है।
0 Comments