गंगा बचाओ अभियान
Ganga Bachao Abhiyan
गंगा को भारत की
पुण्यधारा माना गया है। इसके महत्त्व केवल एक नदी के रूप में ही नही है। बल्कि इसे
‘माँ‘ का दर्जा दिया जाता है। लेकिन वर्तमान में इसकी
स्थिति दयनीय है। यह बहुत प्रदुषित नदी बन चुकी है। गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए
पिछले कुछ वर्षाें से कई प्रयास किये जा रहे है। लेकिन इसकी सफाई में अभी तक सफलता
नहीं मिली है। अब तो पर्यटन के कारण प्लास्टिक तथा बचे हुए खाद्य पदार्थों का ढ़ेर
गोमुख तक लगा हुआ है।
आस्था के कारण
लोग गंगा में अस्थियों का विसर्जन करते है। काशी के मणिकर्णिका घाट पर तो आधी जले
हुए शवों को ही इसमें प्रवाहित कर दिया जाता है। ऐसे में परम्परा को बचाते हुए
गंगा-सफाई अभियान चलाना एक बहुत बड़ी समस्या है।
केन्द्रीय शासन
की तरफ से ‘गंगा एक्शन प्लान‘
सन् 1986 से गंगा की सफाई में लगा हुआ है। इसका उद्देश्य गंगा जल
में प्रदुषण की मात्रा कम करना तथा इसकी गुणवत्ता को बढ़ाना है। इसके माध्यम से
उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश,
बिहार और पश्चिम बंगाल के 25 शहरों के लिए अनेक योजनाएँ तैयार की गई है।
इस योजना को दो
चरणों में चलाया जा रहा है। पहले चरण में 2000 तक 34 सीवेज ट्रीटमेंट
प्लांट लगाये गये है। जिससे कि सीवेज के पानी को सीधे गंगा में बहाया जा सके।
दूसरा चरण सन् 1993 से प्रारंभ किया
गया है। इसमें कई स्कीमंे शुरू की गई थी लेकिन केवल 200 स्कीमें ही पूरी हो पाई है।
1996 में ‘गंगा एक्शन प्लान‘ के दूसरे को राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना में बदल कर 20 राज्यों की 36 नदियों में जल प्रदुषण को कम करने का कार्यक्रम चलाया गया
है।
गंगा की सफाई के
इतने प्रयत्नों के बावजूद हम इसमें अस्थियां बहाते हैं, मूर्तियों का विसर्जन करते है, जिनमें प्रयुक्त होने वाले प्लास्टिक, लकड़ी और रंगों से सामान्य प्रदुषण के अलावा
विषैला प्रदुषण भी होता है।
गंगा प्रदुषण का
एक बड़ा कारण तो सामाजिक उदासीनता है। और इसके अलावा सरकारी प्रयासों में भी कई
कमियाँ है। 2014 में केन्द्र
सरकार ने ‘नमामि गंगे‘ कार्यक्रम शुरू किया था। जिसके लिए उत्तर
प्रदेश की सरकार से भी उचित सहयोग लिया गया। लेकिन दो वर्षों के पश्चात् भी गंगा
की स्थिति में कोई बड़ा बदलाव नही आया है।
गंगा को प्रदुषण
मुक्त करने के लिए कुछ सुझाव इस प्रकार हैं-
ऽ निजी और
सार्वजनिक उद्यमों की जल निकासी सीधे गंगा में न की जाये।
ऽ कानपुर के चमड़ा
उद्योग को अन्य किसी स्थान पर स्थानान्तरित कर दिया जाए।
ऽ रिवर पुलिसिंग
का प्रबंध किया जाये। हर दो किलोमीटर की दूरी पर एक गंगा चैकी हो।
ऽ गंगा में मोटर
से चलने वाली नावों पर रोक लगाई जाये, क्योंकि इनमें डीजल का प्रयोग किया जाता है जिससे प्रदुषण फैलता है।
ऽ रास्ते की सभी
फैक्ट्रियों में सीवेज शोधन यंत्र लगाये जायें।
ऽ किसी भी उद्योग
पर नदी में गंदगी डालने पर जुर्माने का प्रावधान होना चाहिए।
ऽ सामाजिक
जिम्मेदारी के अन्तर्गत लोगों को गंगा को प्रदुषण मुक्त करने के लिए प्रेरित किया
जाये।
गंगा-सफाई-अभियान
केवल सरकारी हस्तक्षेप से ही पूरा नही होगा। इसे सफल करने के लिए प्रत्येक नागरिक
का यह कत्र्तव्य है कि वह ऐसा करने में अपना पूरा सहयोग करें।
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