पुस्तकें हमारी सच्ची मित्र 
Books hamari sachi Friend 

कुछ पुस्तकें केवल जायका लेने के लिए होती हैं, कुछ निगलने के लिए तथा कुछ थोड़ी सी चबाने के लिए और मन उतारने के लिए होती हैंै। मानवता का सही अध्धयन पुस्तकों से ही होता है। पुस्तकें हमारी य,सच्ची मित्र है आज के लिए भी और हमेशा के लिए भी।किताबें हमारे लिए ऐसे ससांर का सृजन करती है जो इस वास्तविक ससांर से बहुत अलग है। यह ससांर दुःख और कष्टों से भरा पड़ा है।स्वार्थ, द्वेष और शत्रुता से भरी इस दुनिया में आनन्द और खुशी का अभाव है। यहां कोई किसी से शत्रुता और द्वेष की भावना रखकर उसे नुकसान पहुँचा रहा है तो कोई दूसरों के हितों का बलिदान करके अपने स्वार्थ की पूर्ति करने में लगा है। संवेदनशील व्यक्ति के लिए यह जीवन पीड़ाओं से भरा है। सच्चे सुख के लिए हमें पुस्तकों की दुनिया में जाना होगा।

पुस्तकों की दुनिया में ही सच्चा सुख मिलता है। पुस्तकें न तो किसी से द्वेष रखती है और न ही शत्रुता। पुस्तकें अपने अन्दर प्रसन्नता,सुख और आन्नद का ससांर लिए बैठी है। ज्ञानवर्धन मानव की मूल प्रवृत्ति है।बच्चा जब नई चीजें सीखता है या बोलता है तो बच्चे को बहुत खुशी मिलती है।घरवालों की खुशी का तो ठिकाना ही नहीं रहता।बच्चे को नई बात सीखने पर बहुत आनन्द मिलता है चाहे वह बात छोटी ही क्यों न हो। सच तो यह है कि ज्ञानवर्धन से आनन्द मिलता है और पुस्तकें तो ज्ञान का भण्डार है। इनमें लेखकों के जीवन भर का अनुभव छिपा रहता है।यदि कोई थोड़े से पन्नों में किसी के जीवन भर का अनुभव मिलता है तो इससे ज्यादा लाभ की बात और क्या हो सकती है। पुस्तकों के अध्ययन से ज्ञान की वृद्धि होती है और ज्ञान वृद्धि से सुख मिलता है।ज्ञान वृद्धि से जो सुख मिलता है उसकी तुलना किसी भी सुख से नही की जा सकती है।लेकिन सभी पुस्तकें अच्छी नही होती और सभी के लिए नही होती हैं।कुछ पुस्तकें ज्ञान रहित और बकवास होती हैं। ऐसी पुस्तकें हमारी तुच्छ भावनाओं को जगाती हो वे हमारी मित्र नही शत्रु होती है। अतः पुस्तकों का सही चयन बहुत आवश्यक है।

हमारे जीवन में बार-बार ऐसे अवसर आते हैं जब हमें पता नहीं चलता कि हमारा कत्र्तव्य क्या है। ऐसे वक्त में हम तनावग्रस्त हो जाते है।अपना कत्र्तव्य पालन न करने पर हमें हानि भी हो सकती है। ऐसे में पुस्तकें ही हमारा मार्गदर्शन करती है।हमें कत्र्तव्य और अकत्र्तव्य का बोध करवाती है।बिना ज्ञान के मानव हमेशा अँधेरे में ही रहता है। पुस्तकें हमें अन्धकार से बाहर निकालती है और प्रकाश की ओर ले जाती है। ज्ञानवान पुरुष जीवन और जगत को समझता है और सुख में ही रहता है। पुस्तकें पढ़ने वाला व्यक्ति बुद्धिमान हो जाता है और हमेशा उन्नति के पथ पर चलता रहता है।इसलिए हर घर में पुस्तकें होनी चाहिए।बिना पुस्तकों के घर बिना खिड़की के कमरे के समान होता है।

धर्म और आध्यात्म का मार्ग कठिन है। लोग धर्म का नाम तो लेते है ं किन्तु धर्म के बारे में कुछ नहीं जानते।वेद और शास्त्र पढ़कर हम धर्म और ईश्वर के बारे में जान सकते हैं। हमारे धर्म के बारे में ऋषियों और अधिकारियों ने लिखा और जाना है। पुस्तकें हमारी सच्ची मित्र हैं। वे कल्याण करती हैं।आनन्द देती हैं।