दहेज प्रथा की समस्या  
Dahej Pratha ki Samasya 

भारतीय संस्कृति में विवाह को एक आध्यात्मिक कार्य, आत्माओं का मिलन,और धर्म समाज का अभिन्न अंग माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि विवाह तो स्वर्ग में ही तय हो जाते है।अर्थात् दो लोगों का विवाह सम्बन्ध पहले से निश्चित होता है।

ळमारे विचार में जब विवाह जैसी प्रथा का प्रारंभ हुआ होगा तो मूल भावना सम्बन्धों को स्वस्थ स्वरूप देने और जीवन तथा समाज को अनुशासित करने की रही होगी।लेकिन विवाह में दान-दक्षिणा देने का प्रचलन कब और कहाँ से शुरू हुआ यह कोई नही बता सकता। केवल यह अनुमान लगाया जा सकता है कि विवाहित जोड़ो नये जीवन में प्रवेश करता है, एक नया घर बसाता है, और ऐसा करने में उसे किसी भी प्रकार की कोई आर्थिक असुविधा न हो इसीलिए वधूपक्ष , वरपक्ष और रिश्तेदारों द्वारा कुछ उपहार दिये जाते होंगे। और इसी प्रचलन ने आगे जाकर दहेज का रूप ले लिया होगा। और इस तरह से यह अच्छी प्रथा भी आज किस तरह से सामाजिक समस्या बन चुकी है यह तो सभी जानते है।

यह अनुमान लगाया जा सकता है कि राजा-महाराजाओं और धनी लोगों ने बड़प्पन जताने के लिये बढ़-चढ़ कर उपहार देना और उसका दिखावा करना आरंभ कर दिया होगा । अतः इस अच्छी प्रथा को अभिशाप बनाने में यह प्रदर्शन की प्रवृत्ति भी सहायक रही ।
आज धर्म, समाज, राजनीति आदि किसी क्षेत्र में किसी भी प्रकार का आदर्श नही है। ध नही माता-पिता, धर्म, समाज, नैतिकता, भगवान बन चुका है। इसीलिए हम आज दहेज जन्य हत्याओं के ब्योरों से समाचारो से भरा पाते है। इसका वास्तविक कारण धन की कभी न मिटने वाली भूख ही है। वरपक्ष द्वारा वधूपक्ष से धन नकद या सामान के रूप में अधिक से अधिक लेने की इच्छा ही दहेज हत्याओं का मूल कारण है।

आज मानवता का कोई महत्त्व नही रह गया है, अपितु वर पक्ष के लिये एक तरह का व्यापार बन गया है। ये व्यापार करते समय वरपक्ष यह भूल जाता है कि उनके अपने घर में भी बेटियां है। कभी-कभी तो इन बेटियों की शादी करने के लिए ही दहेज लिया जाता है। और ऐसा करने में मुख्य रूप से महिलाओ का ही हाथ होता है। इस प्रकार से दहेज प्रथा के कारण नारी ही नारी की दुश्मन बनी हुई है।

अतः इस समस्या से निजात पाने के लिए सर्वप्रथम हमें सामाजिक मूल्यों और मानसिकता को पूरी तरह से बदलना होगा । और युवाओं को दहेज लेकर विवाह करने से मना करना होगा। केवल युवा वर्ग के दहेज-प्रथा के प्रति विरोध से ही इस विकराल समस्या का समाधान किया जा सकता है अन्यथा इसका कोई भी उपाय नही है।