भूचाल
Earthquake
15 मई 2016 की बात है,जब हमारे शहर में भूकंप जैसी आपदा का आगमन हुआ।मेरे जैसे
छोटे बालक के लिए यह किसी प्रलय से कम नहीं था।ऐसा विचित्र अनुभव जीवन में पहली
बार ही हुआ था।रात के 2 बजे के आस-पास
मैं गहरी नींद में सो रहा था। पास वाले कमरे में मेरी छोटी बहन व मेरे माता-पिता
सो रहे थे।अचानक खिड़कियों बजने लगी और भयंकर गड़गड़ाहट होने लगी। चारों ओर चीत्कार
मच गई।यह शायद भूचाल था। हम सभी उठ गये धरती कांप रही थी। बाहर कोलाहल था। मेरे
पापा ने मुझे कमरे से बाहर निकलने के आवाज लगाई।हम मकान के बाहर निकल आये।दूसरें
लोग भी घर से बाहर निकल रहे थे, लोग एक दूसरे को
घरों से बाहर निकाल रहे थे।कुछ लोग तो घरों से अपना सामान भी निकाल रहे थे। भूचाल
तो कुछ ही देर चला लेकिन लोग बरी तरह आतंकित हो गए थे। वे एक-दूसरे को बता रहे थे
कि भूचाल के दौरान उन्होनें कैसा महसूस किया। कुछ लोग तो डर से सहमे हुए थे। लोग
अपने घरों नहीं जा रहे थे। बाहर एक सरकारी गाड़ी घ्ूाम रही थी और घोषणा कर रही थी
कि लोग अपने घरों में न जाए भूचाल के पुनः लौटने की सम्भावना है। लोग दूविधा में थे
कि वे घरों में जाए या नहीं। अब उन्हें स्पष्ट निर्देश मिल गये थे। सभी ने
अपनी-अपनी चारपाईयाँ बाहर निकाल ली। गली में एक दरी बिछ गई। कुछ लोग वहां एक साथ
बैठ गए और ईश्वर के भजन करने लगे। कुछ लोग गली में ही खेलने लग गये। कुछ लोग शहर
की खबर लेने निकल गये थे।वे जल्दी ही वापस आ गये। उन्होनें बताया कि भूचाल का छोटा
सा झटका बहुत बर्बादी करके गया है।उन्होनें बताया कि शहर के बहुत से कच्चे व
अधकच्चे मकान गिर गये है। कई लोग दब गये।बिजली और टेलिफोन के खम्भे टेढ़े हो गये
है। रिएक्टर स्केल पर भूकम्प की तीव्रता 8 मापी गयी जो यह दर्शाती है कि भूकम्व तीव्र था। हम सभी भूकम्प में हुई
विनाशलीला को देखने के लिए चल पड़े।
पास ही के
मुहल्ले में पहुंचे तो देखा कि वहां बहुत भीड़ जमा थी पुलिस व फायर ब्रिगेड की
गाड़ियाँ वहां खड़ी थी। एक पुरानी इमारत वहां गिर गयी थी और बहुत से लोग उसमें दब
गये थे।हम कुछ देर बाद एक स्थान पर गये और प्रकृति के प्रकोप को अपनी आँखों से
देखा।चारों ओर लाशों के ढेर लगे हुए थे। महामारी का खतरा भी उत्पन्न हो गया था । 8-10 व्यक्ति बच गए थे। वे अपने प्रियजनों के मलबे
में दब जाने से दुःखी थे। उनमें तीन चार महिलाएँ रो रही थी। बड़ा ही दर्दनाक दृश्य
था।शहर के दूसरें हिस्सों में भी बहुत से लोग मलबे में दबकर मर गये थे। सरकारी
सम्पत्ति को भी बहुत नुकसान पहुंचा था। सत्य है ईश्वर की आपदाओं के समक्ष मानव
बेबस है।
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