स्मार्ट सिटी मिशन 
Smart City Mission 

जब से नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने हैं, वे देश को पूर्णतः समृद्ध बनाने में जुटे है। आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक गतिविधियों के साथ ही उन्होंने एक नई योजना लागू की है, वह है देश के शहरों में सुविधाओं को बढ़ाना।

स्मार्ट का अर्थ है वहाँ सार्वजनिक सुविधाओं को बढ़ावा देना। इस दिशा में 24 घण्टे बिजली, पानी, सफाई और कचरा प्रबन्धन, सुविधाजनक परिवहन के साधन, तकनीकी कनेक्टीविटी, ई-गर्वनेन्स, नागरिक सुरक्षा, मनोरंजन की सुविधा खेलकूद और सांस्कृतिक गतिविधियाँ, शासन में नागरिकों की भागीदारी आदि कुछ पहलू हैं जिन पर स्मार्ट सिटी में पूरा ध्यान दिया जायेगा।
इसके अंतर्गत प्रथम चरण में 20 शहरों को स्मार्ट सिटीबनाने के लिए चुना गया है। ये हैं- भुवनेश्वर(उड़ीसा), पुणे(महाराष्ट्र), जयपुर (राजस्थान), सूरज (गुजरात), कोच्चि (केरला), अहमदाबाद (गुजरात), नई दिल्ली नगर निगम (दिल्ली), काकीनाडा (आन्ध्रप्रदेश), जबलपुर (मध्य प्रदेश), बेलगाम(कर्नाटक), विशाखापट्टनम (आन्ध्रप्रदेश), सोलापुर (महाराष्ट्र), धवनगिरि (कर्नाटक ), इंदौर (मध्य प्रदेश), कोयम्बटूर (तमिलनाडु), लुधियाना(पंजाब), गुवाहाटी(असम), उदयपुर (राजस्थान), चेन्नई(तमिलनाडु), भोपाल (मध्य प्रदेश)।

तीन बड़े राज्यों - उत्तर प्रदेश, बिहार और बंगाल के किसी भी शहर को इसके प्रथम चरण में शामिल नही किया गया। उत्तर-पूर्व के राज्यों में केवल गुवाहाटी को ही शामिल किया गया है। उत्तराखण्ड, छतीसगढ़, झारखण्ड और अनेक केन्द्र शासित प्रदेश गोवा, तेलंगाना आदि राज्यों का एक भी शहर प्रथम सूची में नही आ सका। केवल 12 राज्यो और नई दिल्ली नगर पालिका (केन्द्र शासित राज्य) को ही इसमें स्थान मिल पाया है।
इन शहरों के चुनाव में 1.52 करोड़ लोगों ने अपनी राय दी। प्रतिस्पर्धा में इन शहरों को 43 कसौटियों पर कसा गया। शीर्ष स्थान पर विराजमान भोपाल को 78 प्रतिशत अंक मिले है।

स्मार्ट सिटी में शामिल शहरों को विकसित करने के लिए कोई समय सीमा तय नही है। ये शहर जिस तीव्रता से इस योजना हेतू कार्य करेंगे उतनी ही तेजी से केन्द्र की तरफ से उन्हें अनुदान राशि दे दी जायेगी। इन शहरों को प्रथम वर्ष में 200-200 करोड़ और बाद में 100-100 करोड़ रुपये हर साल 100-100 करोड़ रुपया केन्द्र सरकार की तरफ से दिये जायेंगे। इतनी ही राशि राज्य सरकारों की ओर से भी दी जायेगी। यदि इस राशि का सही उपयोग किया जाये तो ये शहर स्मार्ट सिटी के सभी बिन्दुओें पर तीन साल में वास्तव में हर तरह से स्मार्ट सिटी बन जायेंगे।
प्रथम चरण में इन 20 शहरों का चुनाव पूरी तरह से स्थनीय स्तर पर किया गया है। केन्द्र की ओर से किसी पर भी थोपा नही गया है। और ना ही केन्द्र सरकार द्वारा चयनित प्रक्रिया में किसी प्रकार का कोई हस्तक्षेप किया गया है। जो कुछ भी किया जा रहा है, वह प्रत्येक शहर के स्तर पर स्थानीय संस्थाओं द्वारा ही किया जा रहा है ताकि जनता की पूरी भागीदारी सुनिश्चित की जा सके।

इसके आलोचक कहते है कि प्रथम चरण में मुम्बई और कोलकाता को नही चुना गया जबकि इनका स्मार्ट सिटी बनाने में हर दृष्टि से महत्वपूर्ण है। और इसके प्राइवेट पार्टिस्पेशन से जिस राशि की उम्मीद की जा रही है, यदि यह सफल न हो सकी तो यह योजना विफल हो जायेगी।

इस योजना के समर्थकों का कहना है कि शेष राशि गैर-सरकारी स्रोतों से आ सकेगी अथवा जो संस्थाएँ इसमें भागीदारी बनना चाहेंगे। भारत में कुल सकल उत्पाद का 63 प्रतिशत शहरों से आता है। इस मिशन में 3 आधारभूत लक्ष्य तय किये गये हैं-
ऽ चयनित शहरों के निवासियों की पूर्ण भागीदारी सुनिश्चित करना।
ऽ विभिन्न शहरों के मध्य प्रतिस्तर्धा की वजह से स्थानीय निकाय अपना आलस्य और निकम्मापन छोड़कर अधिक सक्रिय होंगे। और
ऽ वैयक्तिक संस्थाओं एवं व्यातारिक कम्पनियों की भागीदारी से समुचित राशि की सुलभता।