क्रिसमस
Christmas
क्रिसमस
का त्योहार प्रति वर्ष 25 दिसम्बर को मनाया जाता
है। आने वाले 25 दिसम्बर की प्रति वर्ष
बड़ी उत्सुकतापूर्वक प्रतीक्षा की जाती है।
इसी दिन ईसा मसीह का जन्म हुआ
था, जो ईसवीं सन्
के आरम्भ का प्रतीक और
द्योतक है। इस संसार में
महाप्रभु ईसा मसीह के इस जन्म
दिन की बड़ी पवित्रता
और आस्थापूर्वक मनाया जाता है। इस दिन ही
श्रद्धालु और विश्वस्त भक्त
जन ईसा मसीह के पुनर्जन्म की
शुभकामना किया करते हैं। उनकी याद में विभिन्न स्थानों पर प्रार्थनाएँ और
मूक भावनाएं प्रस्तुत की जाती हैं।
कहा
जाता है कि ईसा
मसीह का जन्म 25 दिसम्बर
की रात को बारह बजे
बेथलेहम शहर में एक गौशाला में
हुआ था। माँ ने एक साधारण
कपड़े में लपेट कर इन्हें धरती
पर लिटा दिया था। स्वर्ग के दूतों से
संदेश पाकर धीरे धीरे लोगों ने इनके विषय
में जान लिया था। धीरे धीरे लोगों ने ईसा मसीह
को एक महान आत्मा
के रूप में स्वीकार कर लिया।
ईश्वर
ने उन्हें इस धरती पर
मुक्ति प्रदान करने वाले के रूप में
अपना दूत बनाकर भेज दिया था। जिसे ईसा मसीह ने पूर्णतः सत्य
सिद्ध कर दिया। इनके
विषय में यह भी विश्वासपूर्वक
कहा जाता है कि आज
बहुत साल पहले दाउद के वंश में
मरियम नाम की कुमारी कन्या
थी, जिससे ईसा मसीह का जन्म हुआ।
जन्म
के समय ईसा मसीह का नाम एमानुएल
रखा गया। एमानुएल का अर्थ है
– मुक्ति प्रदान करने वाला। इसीलिए ईश्वर ने इन्हें संसार
में भेजा था।
ईसा
मसीह सत्य, अहिंसा और मनुष्यत के
सच्चे संस्थापक और प्रतीक थे।
इनके सामान्य और साधारण जीवनाचरण
को देखकर हम यही कह
सकते हैं कि ये सादा
जीवन और उच्च विचार
के प्रतीकात्मक और संस्थापक महामना
थे। ईसा मसीह ने भेड़ बकरियों
को चराते हुए अपने समय के अंधविश्वासों और
रूढि़यों के प्रति विरोधी
स्वर को फूंक दिया
था।
इसीलिए
इनकी जीवन दशाओं से क्षुब्ध होकर
कुछ लोगों ने इनका कड़ा
विरोध भी किया था।
इनके विरोधियों का दल एक
और था तो दूसरी
ओर इनसे प्रभावित इनके समर्थकों का भी दल
था। इसलिए ईसा मसीह का प्रभाव और
रंग दिनोंदिन जमता ही जा रहा
था। उस समय के
अज्ञानी और अमानवता के
प्रतीक यहूदी लोग इनसे घबरा उठे थे और उनको
मूर्ख और अज्ञानी समझते
हुए उन्हें देखकर जलते भी थे। उन्होंने
ईसा मसीह का विरोध करना
शुरू कर दिया।
यहूदी
लोग अत्यन्त क्रूर स्वभाव के थे। उन्होंने
ईसा मसीह को जान से
मार डालने का उपाय सोचना
शुरू कर दिया। इनके
विरोध करने पर ईसा मसीह
उत्तर दिया करते थे- ‘तुम मुझे मार डालोगे और मैं तीसरे
दिन फिर जी उठूंगा।’ प्रधान
न्याय कर्त्ता विलातुस ने शुक्रवार के
दिन ईसा को शूली पर
लटकाने का आदेश दे
दिया। इसलिए शुक्रवार के दिन को
लोग गुड फ्राइडे कहते हैं। ईस्टर शोक का पर्व है,
जो मार्च या अप्रैल के
मध्य में पड़ता है।
ईसा
मसीह की याद में
क्रिसमस का त्योहार बड़ी
धूमधाम से मनाना चाहिए
यह मनुष्यता का प्रेरक और
संदेशवाहक है। इसलिए हमें इस त्योहार को
श्रद्धा और उमंग के
साथ अवश्य मनाना चाहिए।
0 Comments