26 जनवरीगणतंत्र दिवस
26 January -  Republic Day

हमारे राष्ट्रीय त्योहारों में गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) का स्थान स्वाधीनता दिवस (15 अगस्त) के बाद महत्वपूर्ण है। आज ही के दिन हमने अपने राष्ट्र के के विकास के एक विशेष संविधान को तैयार करके इसे कार्य-रूप में लागू करने के लिए सब प्रकार की तैयारी और योजना पूरी की थी। यह संविधान डा. भीमराव अम्बेडकर की अपार बुद्धि और विवेक के द्वारा तैयार हुआ था। इस संविधान को लागू करके हमने अपने राष्ट्र को पूर्ण स्वायत गणतंत्र का स्थान दिया था। इसलिए 26 जनवरी कोगणतंत्र दिवसकहा जाता है।

26 जनवरी का दिन हमारी स्वाधीनता के लिए एक अत्यन्त महत्व एवं हर्ष का दिन है। 26 जनवरी, 1930 को रावी नदी के तट पर नेहरू जी की अध्यक्षता में पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्ति का प्रस्ताव कांग्रेस अधिवेशन में पास हुआ। संघर्ष चलता रहा। निरीह जनता स्वतंत्रता की बलिवदी पर चढ़ती रही। अंततः शहीदों का खून रंग लाया और देश स्वतंत्र हुआ।

लौह पुरूष सरदार पटेल की योग्यता और साहस ने भारत की सात सौ रियासतों को मिलाकर तिरंगे झण्डे के नीचे ला दिया। 26 जनवरी को रावी तट पर किए गए ऐतिहासिक निर्णय की याद में 26 जनवरी 1950 को अखण्ड भारत का संविधान लागू कर दिया गया। इस दिन भारत को सर्वोच्च सम्पूर्ण प्रभुता गणराज्य घोषित किया गया। राष्ट्रपति को देश का सर्वोच्च शासक माना गया। तभी से 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के रूप में माना जाता है।

26 जनवरी को हम एक महान राष्ट्रीय पर्व के रूप में मानते हैं। राजधानी दिल्ली में यह पर्व विशेष समारोह के साथ मनाया जाता है। विजय चौंक से प्रारम्भ होकर लाल किले तक जाने वाली परेड इस समारोह का मुख्य आकर्षण होती है। इस परेड को देखने के लिए लोग बहुत सवेरे से ही इकट्ठे हो जाते हैं। लगभग प्रातः आठ बजे राष्ट्रपति की सवारी विजय चौंक पर पहुँच जाती है।

प्रधानमंत्री उनकी अगवानी करते हैं। इसके बाद तीनों सेनाओं के सैनिक राष्ट्रपति को सलामी देते हैं। सैनिकों के बाद स्कूलों के बच्चों की टोलियां आती हैं, जो तरह तरह के आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करती हैं। बच्चों की ये क्रियाएँ दर्शकों को मन्त्र मुग्ध कर देती हैं। इसके बाद विभिन्न प्रदेशों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों की आकर्षक झाँकियां निकलती हैं। उनमें राष्ट्र के विकास के प्रमाण चिन्ह विज्ञान, कला, संस्कृति की विभिन्न उपलब्धियाँ दिखाई जाती हैं। पंक्तिबद्ध बैठे हुए दर्शक सामने से गुजरती हुई इन झांकियों को देखकर विशेष गर्व का अनुभव करते हैं।

26 जनवरी के दिन विभिन्न स्थलों पर विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम अपनाए और आयोजित किए जाते हैं। इस देश के प्रायः सभी नागरिक इस महत्वपूर्ण त्योहार का विशेष आनन्द लेने के लिए अनेक प्रकार की कार्यविधियों की स्वतंत्रतापूर्वक अपनाया करते हैं।

स्कूलों के बच्चे अपनी रंग बिरंगी पोशाकों में अपने कौशल दिखाते हुए जलूस में भाग लेते हैं। देश की राजधानी दिल्ली में प्रदर्शित झांकियों में विभिन्न हथियारों, टैंकों तथा प्रक्षेपास्त्रों का प्रदर्शन किया जाता है। राज्यों की प्रगति झांकियों के रूप में दिखाई जाती हैं, जिससे भारत की उन्नति और समृद्धि का अनुभव होता है।विभिन्नता में एकता छिपी हैकी उक्ति से भारत की एकता का ज्ञान होता है।

इस दिन प्रत्येक प्रांत की राजधानी में गणतंत्र दिवस बडी धूम धाम से मनाया जाता है। झांकियों आदि के साथ साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। कवि सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं। देश के सभी सरकारी भवनों पर रोशनी की जाती है। जगह जगह राष्ट्रीय झण्डों को फहराया जाता है। भारतीय गणतंत्र की वर्षगांठ के साथ हमारा कर्त्तव्य है कि हम प्रण करें कि भारत की स्वतंत्रता तथा संविधान की मर्यादा रखने के लिए जीवन बलिदान कर देंगे, परन्तु इस पर आँच नहीं आने देंगे। देश की समृद्धि के लिए हम तन, मन और धन से जायेंगे।


इस प्रकार से हमें गणतंत्र दिवस के विशेष महत्व पर पूरा ध्यान देते हुए इस परम सौभाग्यपूर्ण दिवस को एक संकल्प में लेकर देशोत्थान में लग जाना चाहिए।

अन्य महत्वपूर्ण बिंदु

दोस्तों नीचे दिए गए बिन्दुओं को पढ़ कर आप गणतंत्र दिवस पर एक अच्छा भाषण भी तैयार कर सकते हैं. साथ ही साथ गणतंत्र दिवस पर आपकी जानकारी आपको एक अच्छा लेख लिखने में भी मदद करेगी.

गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है ?

सन 1929 के दिसंबर में लाहौर में कांग्रेस का अधिवेशन जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में हुआ जिसमें प्रस्ताव पारित कर इस बात की घोषणा की गई कि यदि अंग्रेज सरकार 26 जनवरी 1930 तक भारत को डोमीनियन स्टेट घोषित नहीं करेगी, तो भारत अपने आप को पूर्णतः स्वतंत्र घोषित कर देगा।

26 जनवरी 1930 तक जब अंग्रेज सरकार ने कुछ नहीं किया तब कांग्रेस ने उस दिन भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के निश्चय की घोषणा की और पूर्ण स्वराज्य के लिए एक सक्रिय आंदोलन का आरंभ किया।

२६ जनवरी का महत्व बनाये रखने के लिए सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पास हुआ कि 26 जनवरी को भारत गणतंत्र दिवस के रूप में प्रत्येक वर्ष मनाएगा!

साथ ही साथ 26 जनवरी की महत्ता इस बात से भी बढ़ जाती है क्योंकि इसी दिन 26 जनवरी 1950 को देश का संविधान जो कि विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है ! जिसके अस्तित्व में आने पर भारत वास्तव में एक सम्प्रभु देश बना ! यह दिन उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान के लिए सम्मान दर्शाता है! इस दिन हम सब उनके बलिदानो को याद कर के उन्हें भावांजलि देते हैं!

गणतंत्र दिवस पर समारोह

सर्वप्रथम 26 जनवरी को भारत के राष्ट्रपति द्वारा भारतीय ध्वज दिल्ली के लाल किले पर फहराया जाता है और उसके बाद सामूहिक रूप से राष्ट्रगान गया जाता है! इस अवसर पर हर साल एक परेड इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक आयोजित की जाती है! जिसमें भारतीय सेना के विभिन्न अंग जैसे नौसेना, जलसेना, वायुसेना भाग लेती है! इसी दिन परेड प्रारंभ करते हुए प्रधानमंत्री अमर जवान ज्योति (सैनिकों के लिए एक स्मारक) पर पुष्प माला डाल कर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं!

राष्ट्रपति अपने अंगरक्षकों के साथ 14 घोड़ों की बग्घी में बैठकर इंडिया गेट पर आते हैं, जहाँ प्रधानमंत्री उनका स्वागत करते हैं। राष्ट्रीय धुन के साथ ध्वजारोहण करते हैं, उन्हें 21 तोपों की सलामी दी जाती है, हवाई जहाजों द्वारा पुष्पवर्षा की जाती है। आकाश में तिरंगे गुब्बारे और सफेद कबूतर छोड़े जाते हैं।

भारत की अलग अलग राज्यों की संस्कृति, विशेषता, उनके लोक गीत , कला और विशेषता को परेड में झाँकियौं के रूप में दिखाया जाता है इस परेड को पूरे भारत में उसी समय सभी टेलीविज़न और रेडियो पर भी दिखाया जाता है।

26 जनवरी का पावन पर्व आज भी हर दिल में राष्ट्रीय भावना की मशाल को प्रज्वलित कर रहा है। लहराता हुआ तिरंगा रोम-रोम में जोश का संचार कर रहा है, चहुँओर खुशियों की सौगात है। किसी ने सच ही कहा है- “कण-कण में सोया शहीद, पत्थर-पत्थर इतिहास है।ऐसे ही अनेक देशभक्तों की शहादत का परिणाम है, हमारा गणतान्त्रिक देश भारत। आइये हम सब मिलकर उन सभी अमर बलिदानियों को अपनी भावांजली से नमन करें!