क्रिसमस
Christmas
निबंध नंबर :- 01
विश्व की
जनसंख्या का बहुत बड़ा भाग ईसाई धर्म को मानता है। यह धर्म सहनशीलता, प्रेम, अहिंसा और भ्रातृभाव का धर्म है। इसीलिए इस धर्म का प्रभाव पूरे विश्व पर है।
क्रिसमस ईसाई धर्म का प्रमुख त्योहार है। क्रिसमस के त्योहार पर पूरे विश्व में
हर्ष और उल्लास का माहौल रहता है।
ईसाई धर्म की
स्थापना हजरत ईसा मसीहा ने की थी। उन्होंने विश्व को भाई-चारे, अहिंसा, प्रेम और सहिष्णुता का संदेश दिया था और इन शाश्वत
सिद्धांतो पर ही ईसाई धर्म की नींव रखी थी। समस्त मानव जाति के कल्याण के लिए
उन्होंने अपना बलिदान दिया था। आज समस्त विश्व में उनके इस उपकार का माना जाता है।
क्रिसमस को बड़ा दिन भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन ईसा मसीह का जन्म
हुआ था। और ईसा मसीह को पैगम्बर अर्थात् ईश्वर का दूत भी माना जाता है। यह ईसाइयों
का सबसे पवित्र त्योहार है।
क्रिसमस के आने
से कई दिनों पहले से ही इस पर्व की तैयारियाँ शुरू कर दी जाती है। बाजारों में
बहुत चहल-पहल रहती है। दुकानों को खूब सजाया जाता है। कई तरह के सुंदर-सुंदर कपड़े,
खिलौने तथा अन्य कई सामान प्रदर्शित किये जाते
है। इस अवसर पर सबसे ज्यादा बधाई कार्ड बिकते है। लोग सुन्दर और रंग बिरंगे बधाई
कार्ड खरीदते है और अपने दोस्तों और संबंधियों का भेजते है।
क्रिसमस का त्योहार
मुख्य रूप से गिरजाघरों में मनाया जाता है। इस त्योहार पर गिरजाघरों को विशेष रूप
से सजाया जाता है। क्रिसमस के दिन लोग सुबह जल्दी ही गिरजाघरों में पहुँच जाते
है।वहाँ श्रद्धा के साथ प्रार्थनाएँ की जाती है। ईसाइयों के पवित्र ग्रन्थ बाईबिल
का पाठ होता है। ईसाई धर्म का प्रमुख पोप (धर्मगुरू) इस अवसर पर अपना संदेश देते
है। वह मानव जाति से परस्पर प्रेम और सौहार्द्र बनाये रखने का अनुरोध करता है।
विश्व में क्रिसमस का त्योहार प्रमुख रूप से वेटिकन सिटी में मनाया जाता है। यहाँ
विश्व भर के ईसाई एकत्र होते है। ईसाई धर्म के प्रमुख पोप की उपस्थिति में वहाँ
प्रार्थना होती है और बाईबिल का पाठ किया जाता है। पोप भक्तों को आशीर्वाद देता
है। वेटिकन सिटी को बहुत सजाया जाता है।
लोग घरों में
क्रिसमस का पेड़ बनाते है। और अनेक उपहार लाकर इस पेड़ के नीचे रख देते है। देर रात
में लोग वहाँ जाते है और अपने-अपने उपहार वापस ले लेते है। इस पर्व पर परिवार का
कोई एक सदस्य सेंटाक्लाॅज बनता है और पूरे परिवार को अपनी शुभकामनाएँ देता है। और
उपहार भी बांटता है।
क्रिसमस का
त्योहार एक ओर तो खुश रहने का अवसर प्रदान करता है और दूसरी ओर पैगम्बर ईसा मसीह
तथा उनके प्रेम, भ्रातृभाव और
सहिष्णुता के संदेश का स्मरण करवाता है।
निबंध नंबर :- 02
क्रिसमस
Christmas
क्रिसमस ईसाइयों का प्रमुख त्योहार है। ईसाई धर्म के प्रवर्तक ईसा मसीह का जन्म इस दिन हुआ था। यह त्योहार प्रतिवर्ष दिसंबर मास की 25 तारीख को विश्वभर में मनाया जाता है। इस दिन को 'बड़ा दिन' के नाम से भी जाना जाता है।
ईसाई धर्म के जन्मदाता यीशु का जन्म सैकड़ों वर्ष पूर्व बैथलेहम में हुआ। इनके पिता जोजफ युसुफ़ तथा माता मरियम थीं। बाइबिल के अनसार मरियम को देवदूत ने दर्शन देकर बताया था कि उनका पुत्र ईश्वर पुत्र कहलाएगा। उन दिनों रोम का सम्राट सीज़र आगस्टस यह पता लगाना चाहता था कि उसके साम्राज्य में कितनी जनसंख्या है। उसने जनगणना के आदेश दिए और यह कहा कि सब लोग अपने-अपने गाँवों में लौट जाएँ। यसफ़ और मरियम बेथलेहम नगर में नाम लिखवाकर लौट रहे थे। एक सराय के मालिक ने उन्हें रात में अस्तबल में ठहरने का स्थान दिया।
अस्तबल में ही यीशु का जन्म हु. यह क्षेत्र चरवाहों का था। चारों तरफ़ काली छोटी-छोटी पहाड़ियाँ थीं। एक देवदूत ने आकर चरवाहों को ईसा मसीह के जन्म का समाचार दिया और बताया कि वह उनका मुक्तिदाता होगा। ईसा के जन्म के समय एक तारा भी उदित हुआ। तीन ज्योतिषियों व धर्मगुरुओं ने उस तारे को देखा और देखते-देखते वे येरुसलम पहुँच गए। उन्होंने बेथेलेहम पहुँचकर नवजात शिशु को देखा तथा उस अलौकिक बालक के चरणों में सिर झुकाया।
दिव्य गुणों से युक्त इस बालक का नाम जीसस या ईसा रखा गया। अलौकिक गुणों व दैविक शक्तियों से भरपूर इस बालक ने बाल अवस्था में ही अपने ज्ञान व शास्त्रार्थ से विभिन्न धर्मगुरुओं को निरुत्तर कर दिया। ईसा ने घोर तपस्या व चिंतन-मनन में आरंभिक वर्ष व्यतीत किए। उन्होंने ईश्वर का संदेश यत्र-तत्र फैलाया तथा दुखी, रोगी व पीड़ित व्यक्तियों का दुख दूर किया। उन्होंने समाज में व्याप्त अनाचार व अनैतिकता के खिलाफ व्यापक प्रचार किया।
ईसा के विचारों का प्रभाव चारों तरफ़ फैलने लगा। उन्हें बंदी बनाकर हेरोद की सभा में प्रस्तुत किया गया। तत्कालीन धर्म पंडितों ने ईसा के विचारों का भरपूर विरोध किया तथा ईसा को क्रॉस पर लटकाने को कहा। ईसा मसीह को क्रॉस पर लटकाया गया। उनके सिर, हाथ और पैर पर कीलें ठोक दी गईं। उनके समस्त शरीर से रक्त धारा बहने लगी। शुक्रवार को उन्होंने प्राण त्याग दिए। तीसरे दिन ईसा पुनः जीवित हो उठे और उन्होंने अपने अनुयायियों से उन सभी को क्षमा करने को कहा जिन्होंने उन्हें क्रॉस पर लटकाया। ईसा के अमर होने की खशी में ईस्टर मनाया जाता है।
क्रिसमस से पूर्व ही क्रिसमस की तैयारियाँ आरंभ हो जाती हैं। क्रिसमस से पूर्व बाजार तरह-तरह के केक व उपहारों से सज जाते हैं। इस दिन गिरिजाघरों को सजाया जाता है। लोग प्रात:काल ही गिरिजाघर जाकर प्रार्थना करते हैं। सब सगे-संबंधियों व मित्रों से मिलते हैं, उन्हें उपहार, केक व मिठाइयाँ देते हैं।
घरों में क्रिसमस पेड़ सजाया जाता है। इस पेड़ पर सनहरे तारे, खिलौने, उपहार और फल आदि सजाए जाते हैं। माना जाता है कि प्राचीन काल में देवताओं को खुश करने के लिए बालकों की बलि चढाई जाती थी। एक बार विनफ्रेड नामक एक अंग्रेज़ ईसाई जर्मनी के जंगलों में भटक रहा था। वहाँ एक नन्हे राजकुमार की बलि दी जाने वाली थी। विनफ्रेड ने धावा बोलकर उसे बचा लिया। थार के पुजारी विनफ्रेड को मारने ही वाले थे कि वहाँ एक फर का वृक्ष उग आया और सब हैरान रह गए।। तब से यह पेड़ ईसा का प्रतिरूप माना जाता है।
इस दिन गिरिजाघरों तथा घरों में क्रिसमस के स्तति गीत गाए जाते हैं। माना जाता है कि बालक ईसा के जन्म पर देवदूतों ने जो गीत गाया था, वही प्रथम क्रिसमस स्तुति गीत था। ईसा मसीह के जन्म के इस शुभ अवसर पर तरह-तरह के स्तुति गीत गाकर उल्लास प्रकट किया जाता है।
ईसा मसीह के जन्म का संदेश देने वाले तारे की स्मृति में घर तथा गिरिजाघरों में चमकीले तारे सजाए जाते हैं। ईसा मसीह व मरियम की प्रतियां भी गिरिजाघरों में सजाई जाती हैं। घरों में प्रीतिभोज का आयोजन किया जाता है। देर रात तक दाबतें चलती रहती हैं।
इस दिन बच्चों को सांताक्लॉज की प्रतीक्षा रहती है। उनका मानना है कि सांता (सेंट निकोलस) उनके लिए रात में तरह-तरह के उपहार सकर आएगा। वास्तव मसांताक्लाज की धारणा के पीछे भी एक कथा सम्राट डियाक्लिशियन ने निकोलस को जेल में डाल दिया था क्योंकि यह ईसा मसीह को मानता था। बाद में सम्राट कांस्टेन्टाइन के राजगद्दी पर आसीन होने और ईसाई धर्म को राजधर्म घोषित करने पर निकोलस भी रिहा हो गए। उन्हें पादरी बना दिया गया। वे ही भेष बदलकर लोगों की मुसीबतों का पता लगाते और उनकी मदद करते थे।
माना जाता है कि एक बार एक सराय के मालिक ने एक गरीब विधवा के बेटों को मारकर मर्तबानों में छिपा दिया। पादरी निकोलस ने प्रार्थना की और बालक जी उठे। तब से संत निकोलस बच्चों के दोस्त बन गए। माना जाने लगा कि क्रिसमस के अवसर पर वे अवश्य बच्चों की खुशी के लिए उनके पास आते हैं। इसी धारणा को पुष्ट करने के लिए मातापिता अपने बच्चों के लिए तरह-तरह के उपहार रात को उनके पास रख देते हैं ताकि वे उन्हें पाकर प्रसन्न हो उठे।
क्रिसमस का त्योहार मानवीय भावनाओं से जुड़ा एक अद्भुत पर्व है। इस पर्व से भाईचारे तथा मानवीय गुणों का प्रचार होता है। यह पर्व सुखशांति का संदेश लेकर आता है। ईसाई धर्म के प्रवर्तक ईसा का जन्म दिन यह पर्व निश्चित रूप में बड़ा दिन है क्योंकि यह विश्वभर में प्रेम, दया और क्षमा की भावना फैलाता है।
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