सर्कस
Circus
सर्कस मनोरंजन का
एक महत्वपूर्ण साधन है। खास करके बच्चों के लिए मनोरंजन का स्वस्थ साधन है। दशहरे
की छुट्टियों में एक विशाल सर्कस हमारे शहर में आया। जिसका नाम डिजनी लैण्ड सर्कस
था। यह एक प्रसिद्ध सर्कस था जब बच्चों को पता चला कि डिज्नी सर्कस शहर में है तो
एक बड़ी भीड़ सर्कस देखने के लिए जमा हो गई। मैंने भी माता-पिता से सर्कस देखने जाने
के लिए कहा। और शाम को हम अपने परिवार के साथ सर्कस देखने रामलीला मैदान में जा
पहुँचे जहाँ पर सर्कस लगा था। सर्कस एक बहुत बड़े तम्बू में लगा था जिसको रोशनी से
सजाया गया था। सर्कस देखने के लिए टिकिट तीन श्रेणियों में थे। प्रथम श्रेणी की
सीट सबसे आगे, द्वितीय की पीछे
और तीसरे की सबसे पीछे थी। हमने प्रथम श्रेणी का टिकिट खरीदा ।सर्कस की सारी सीटे
चारों तरफ से अर्द्धवृत्ताकार रूप में लगायी गयी थी।दर्शकों की एक विशाल भीड़ वहाँ
मौजूद थी।
शाम का समय था ।
सर्कस का दूसरा शो 6 बजे शुरू हुआ।
तंबू के अन्दर खिलाड़ियों का एक आया जो बहुत सक्रिय लग रहा था। उन्होनंे अपने करतब
रस्सी पर दिखाने शुरू किये तथा एक हवा में कलाबाजियाँ की।
ठसके बाद रिंग
मास्टर और तीन शेर आये। शेर दहाड़ रहे थें और गुर्रा रहे थे। वहां बैठे सभी बच्चे
दहाड़ सुनकर डर गये।रिंग मास्टर ने हवा में चाबुक मारी और सारे के सारे शेर कुत्ते
की तरह रिंग मास्टर की आज्ञा का पालन करने लगे। शेरो ने जलते हुए गोलाकार में से
छलांगे लगाई और चारो तरफ दौड़ने लगे। रिंग मास्टर की आज्ञा का पालन करते हुए सभी
शेरों ने एक ही बर्तन में पानी पिया। इसके बाद हमने 5 घोड़े देखे जो चाबुक देखकर दौड़ने लगते और रुक जाते। इसके
बाद नाचते हुए एक हाथी आया और आकर स्टूल पर बैठ गया। वह अपनी संूड में एक पानी की
बोतल भी लाया था जिसमें से उसने पानी भी पिया। हाथी ने औेर भी कई तरह के करतब
दिखाये।
कुछ समय बाद मोटर
गाड़ी चलाने वाला भी आया जिसने मौत के कुएँ में घुमा-घुमाकर गाड़ी चलाई। यह करतब
देखकर सभी दर्शक दंग रह गये।
दो जोकर भी आये
जिनका मुख रंगों से पुता हुआ था। उन्होंने हमारा बहुत मनोरंजन किया। उन्हें देखकर
दर्शक अपनी हँसी रोक नही पाये। जोकरों का कार्य केवल हसांना ही था। उसके बाद 5 बंदर साईकिल चलाते हुए आए । वे अपनी साइकिलों
से उतरे, सबको सलाम किया और चले
गये।
उनके करतबो ने
हमें आखिर तक बाँधे रखा। अंत में कलाकार मण्डली आयी और हमें धन्यवाद दिया और इस
प्रकार से यह शो समाप्त हुआ। वहां हमारा पूरा मनोरंनन हुआ। और हमारी शाम एक यादगार
शाम बन गई । सच है कि परिवार के साथ सर्कस देखने का मजा कुछ और ही होता है।
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