जनरेशन गैप भाषण
Generation Gap Speech
प्रिय सोसाइटी के सदस्यों – हमारी गोकुलधाम सोसाइटी के सचिव के रूप में मैं आप सभी का अपने सोसाइटी क्लब हाउस मीटिंग में स्वागत करता हूं! सबसे पहले आप सभी को मेरी ओर से नमस्कार!
आज हमारे दिन-प्रतिदिन मुद्दों पर चर्चा करने के अलावा मैंने जनरेशन गैप/पीढ़ी के अंतर पर एक भाषण तैयार किया है जिसे मैं अब संबोधित करने जा रहा हूं। हाल ही की ख़बर जिसे हर कोई जानता है, जो वायरल हो गया था, उसमें कहा गया था कि एक युवा लड़के ने निराशा में अपने पिता को इतनी ज़ोर से मारा कि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। यह ख़बर सुन कर मुझे इतना अजीब लगा कि आज की युवा पीढ़ी के साथ क्या हो रहा है। क्या यह पूरी तरह से उनकी गलती है या फ़िर यह उनके माता-पिता की भी गलती है कि वे अपने बच्चों की अच्छी तरह से परवरिश करने में विफल रहे हैं और उनकी सोचने की प्रक्रिया को समझ नहीं सके? चलिए एक माता-पिता होने के नज़रिए से ये उचित प्रश्न अपने आप से पूछें और हमारे समाज में सकारात्मक बदलाव लाने और हमारे बच्चों की सोच के साथ अपनी सोच मिलाने की कोशिश करे। लेकिन साथ ही हमारे बच्चों में नैतिक मूल्यों और अच्छे नैतिक व्यवहारों का बीज बोना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्हें बचपन से ही यह सिखाया जाना चाहिए कि अपने बुजुर्गों का सम्मान करें और अपने से छोटों को प्यार दें। यदि हम अपने बच्चों से शारीरिक और भावनात्मक रूप से दूरी बनाए रखना शुरू करेंगे तो उनके जीवन को बहुत बड़ी भावनात्मक पीड़ा होगी और वे हर किसी के प्रति असंवेदनशील हो जाएंगे खासकर बड़ी उम्र के लोगों की ओर। हमें इस अंतर को व्यापक और बड़ा करने की बजाए इसे कम करने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि यह पहले से ही बहुत व्यापक है जहाँ युवा और बुज़ुर्ग लोग पहले से ही एक दूसरे को ज्यादा परेशान किए बिना दो अलग-अलग दुनिया में रह रहे हैं। अगर आप इस पीढ़ी के अंतर को खत्म करना चाहते हैं तो बड़ों के रूप में हमें हमारे युवाओं और बच्चों के प्रति एक सहानुभूति दृष्टिकोण का सहारा लेना होगा और समझने की कोशिश करनी होगी कि उन्हें क्या पसंद है या क्या नापसंद है और साथ ही उनकी इच्छाएं और आकांक्षाएं भी जाननी होगी। युवाओं को यह भी महसूस करना चाहिए कि उनके पास जीवन में कोई अनुभव नहीं है इसलिए अपने बुजुर्गों की बातें मानना और भी ज्यादा महत्वपूर्ण है। उनके पास उन अनुभवों का धन है जिनका लाभ आप उनसे उठा सकते हैं और अपने जीवन को बेहतर और मूल्यवान बना सकते हैं। युवाओं को अपने बुजुर्गों की बात सुनना और उनकी ज़िंदगी के हर महत्वपूर्ण निर्णय पर उनकी सलाह लेनी चाहिए। यदि युवा किसी भी बिंदु से असहमत हैं तो वे शांति से और सम्मान के साथ अपनी राय रख सकते हैं। अमेरिका और यूरोप जैसे विदेशी देशों में पीढ़ी का अंतर इतना बड़ा है कि युवा और बुज़ुर्ग लोग एक छत के नीचे रहना भी पसंद नहीं करते हैं। जब युवा पैसा कमाना शुरू करते हैं तो वे अपनी ज़िंदगी को स्वतंत्र रूप से शुरू करना चाहते हैं। इसी तरह बुज़ुर्ग लोग भी अपने पुराने घरों या पेंशनभोगी घरों में युवाओं से अलग रहते हैं। इसलिए यही पीढ़ी का अंतर संयुक्त परिवारों और घरों को टूटने की ओर ले जाता है। हमें कोशिश करनी चाहिए कि स्थिति इस हद तक नहीं पहुंचे जहाँ भारतीय परिवार एक ही छत के नीचे अलग-अलग रहना शुरू कर दे। चलिए अपनी युवा पीढ़ी को अच्छी शिक्षा प्रदान करें ताकि वे अपनों से दूर न जाएं और उनसे जुड़े रहें। मैं केवल इतना ही कहना चाहता था!
धैर्यपूर्वक मेरी बात सुनने के लिए आप सभी का धन्यवाद!
0 Comments