विश्व जनसंख्या दिवस पर भाषण
World Population Day Speech


प्यारे दोस्तों। सुप्रभात और इतने जल्द हमारा निमंत्रण स्वीकार करने के लिए धन्यवाद! 

यद्यपि आपको इस कारण के बारे में पता होना चाहिए कि हमने क्यों यहां सबको इकट्ठा किया है लेकिन उन सभी के लिए जो अभी भी यहाँ मौजूद होने के बारे में सोच रहे हैं मैं जल्दी ही इस मीटिंग के उद्देश्य को आपके साथ साझा करूँगा। असल में हमें इस साल संयुक्त राष्ट्र द्वारा शुरू किए गए विश्व जनसंख्या दिवस के जश्न के लिए स्थानीय एजेंसियों से एक पत्र प्राप्त हुआ है। यह दिन हर साल 11 जुलाई को लोगों के अधिकारों के प्रचार के लिए मनाया जाने वाला एक वार्षिक उत्सव है और साथ ही उन्हें अपने परिवार की बेहतर तरीके से योजना बनाने में मदद करने के लिए मनाया जाता है। यह लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए घटनाओं, गतिविधियों और सूचनाओं का समर्थन करता है ताकि वे अपने अधिकारों का उपयोग कर सकें और अपने परिवार के बारे में उचित निर्णय ले सकें। हमारा संगठन पूरे शहर में उत्साहपूर्वक विश्व जनसंख्या दिवस का जश्न मनाने के लिए प्रसिद्ध है। मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि स्थानीय और साथ ही राज्य सरकार ने हमें अपने अधिकारों के बारे में जागरूकता फैलाने और पारिवारिक नियोजन के बारे बात करने के लिए हमारी प्रशंसा की है। सौभाग्य से इस बार हमारे पास लोगों को उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों से अवगत कराने के अलावा व्यापक योजनाएं हैं। हम उन्हें उन कुछ बीमारियों के बारे में भी सूचित करेंगे जो आपके परिवार के गैर-नियोजन के कारण आक्रमण कर सकती हैं। हम सभी जानते हैं कि हमारे देश में छोटी उम्र में लड़की का विवाह करना अभी भी प्रचलित है। लड़कियों की शादी करने के बाद से ही उनसे बच्चों को जन्म देने की उम्मीद की जाती है और अगर वे लड़की को जन्म देते हैं तो उनसे लड़के को जन्म देने की उम्मीद की जाती है। यह प्रयास उस समय तक चलता है जब तक वे एक लड़के को जन्म नहीं दे देती। दुर्भाग्य से हमारे देश में लिंग असमानता अभी भी एक प्रमुख मुद्दा है। लोगों को शायद ही कभी यह महसूस हो कि अगर एक नाबालिग़ लड़की गर्भवती हो गई तो उसे कई स्वास्थ्य समस्याओं से गुजरना पड़ सकता है और यह अंततः उसके अपने स्वास्थ्य के साथ-साथ उसके गर्भ में पल रहे बच्चे को भी प्रभावित कर सकता है जिसे वह जन्म देने वाली है। 

कुपोषण ऐसी गर्भावस्था से उत्पन्न सबसे प्रमुख रोगों में से एक है। भारत एक प्रगतिशील देश है और ऐसी बुरी आदतें भारत की सफलता के रास्ते में प्रमुख बाधाएं हैं। लोगों को यह समझना होगा कि लड़के और लड़की के बीच कोई अंतर नहीं है। लड़कियां एक परिवार को गौरवशाली महसूस करने में समान रूप से सक्षम हैं बशर्ते उन्हें निरंतर शिक्षा और समान परवरिश दी जाए तो। इस प्रकार विश्व जनसंख्या दिवस का लक्ष्य भी लिंग समानता और महिला सशक्तिकरण की ओर है। यह महत्वपूर्ण है कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में महिलाओं को गर्भावस्था से बचने के लिए प्रभावी और सुरक्षित परिवार नियोजन के तरीकों का इस्तेमाल करना चाहिए। स्वस्थ जीवन को अपनाने में सही और पूर्ण जानकारी होना बहुत महत्वपूर्ण है। हम देश के विभिन्न भागों में विशेष रूप से गांवों और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य और सूचना शिविर स्थापित करने की योजना बना रहे हैं। इस वर्ष हम हिंदू पौराणिक कथाओं और दुर्गा, काली, सरस्वती और अन्य देवी और देवताओं की महाकाव्य कथाओं पर आधारित नाटकों को आयोजित करने की भी योजना बना रहे हैं। गांव की लड़कियों को इन नाटकों में भाग लेने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। हमारी भारतीय संस्कृति ने कभी भी लड़के और लड़की के बीच मतभेद नहीं किया, न ही उसने महिलाओं के अधिकारों को दबाया है। यही बात है जिसका हम लोगों को देश भर में व्यक्त करने का प्रयास कर रहे हैं। वास्तव में भारत एक ऐसा देश है जहां देवी को श्रद्धेय माना जाता है और प्रार्थना की जाती है इसलिए छोटी लड़कियों को देवी दुर्गा का अवतार भी माना जाता है। हमें उम्मीद है कि इस पहल का स्वागत हर किसी के द्वारा किया जाएगा। हमें स्थानीय प्राधिकरण ने धन रुपी मदद देने का भी वादा किया है। हालांकि हमारे पास सीमित समय है लेकिन मुझे यकीन है कि आपकी प्रतिबद्धता और कड़ी मेहनत से यह एक सफल आयोजन साबित होगा। 

धन्यवाद।- भाषण