डायरी की उपयोगिता
Diary ki Upyogita


हमारे जीवन में अनेक प्रकार की घटनाएँ निरंतर घटित होती रहती हैं जो हमारे मानस पर अपनी छाप छोड़ जाती हैं, परंतु घटनाक्रम समय के साथ विस्मृत हो जाता है। इन घटनाओं को स्थायी स्वरूप प्रदान करने का कार्य डायरी करती है। डायरी आत्माभिव्यक्ति का उत्तम साधन है।

अपने दैनिक जीवन की घटनाओं का संक्षिप्त व प्रभावशाली वर्णन डायरी की विशिष्टता है। डायरी एक उत्तम मित्र, सगा भाई तथा आदर्श अभिभावक है। इसमें लिखे अपने अनुभव इसे विशिष्ट रूप प्रदान करते हैं। वर्तमान काल में लिखी गई उत्कृष्ट डायरी भविष्य का साहित्य बन जाती है। इतिहास साक्षी है कि महापुरुषों की डायरी में अंकित अनुभव ही अनेक जीवनचरित्रों, जीवनियों, आत्मकथाओं व विभिन्न साहित्यिक विधाओं की विषय-सामग्री बने।

डायरी साहित्य की उत्कृष्ट विधा भी है। साधारण जीवन में भी डायरी की अनेक उपयोगिताएँ हैं। जिस व्यक्ति में सत्यभाषण का साहस है, वही व्यक्ति डायरी लिखने का साहस रखता है। सामान्य जीवन में कभी-कभी ऐसे कार्य भी हो जाते हैं जिनसे समाज में निंदा का पात्र बनना पड़ता है। यदि इस प्रकार के कार्य डायरी में अंकित हो जाएँ तो वे सदा भविष्य में हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे तथा हम उन गलतियों को दोहराकर फिर स्वयं अपनी ही नजरों में गिरना नहीं चाहेंगे।

डायरी एक पथप्रदर्शक व शिक्षक का कार्य करती है। जब व्यक्ति अपनी डायरी को पढ़ता है तो वह अपने क्रियाकलापों का आत्मविश्लेषण करता है। इस प्रकार का मंथन उसे भविष्य के प्रति उचित दिशा दिखाता। है। व्यक्ति केवल दूसरों से ही नहीं सीखता अपितु स्वयं का जीवन भी उसके भविष्य की राह निर्धारित करता है। मनुष्य में आत्मालोचना व आत्मपरिष्कार की भावना बलवती होती है तथा सुनहरे भविष्य की नींव इस पर स्थायी स्वरूप ग्रहण करती है।

डायरी में लिखे अनुभव न केवल भविष्य की सीख देते हैं अपितु उन्हें लेखनीबद्ध कर आत्मा का परिष्कार होता है। मन को अलौकिक आनंद की प्राप्ति होती है तथा सभी प्रकार के तनावों से मुक्ति मिल जाती है। डायरी जीवन का सच्चा लेखा-जोखा रखती है। जीवनभर की घटनाओं में से कुछ घटनाएँ ऐसी होती हैं जिन्हें मनुष्य विस्मृत नहीं करना चाहता, परंतु उन्हें दोहराना भी नहीं चाहता। ऐसी घटनाएँ जब लेखनीबद्ध हो जाती है। तब वे कुछ क्षण के लिए तो, स्वयं को अपने ही सम्मुख लज्जित करती। हैं। किंतु बाद में, वे ही घटनाएँ हमारी प्रेरक बन हमें भविष्य में समाज के सम्मुख लज्जित होने से रोकती भी हैं।

डायरी लिखना असाधारण कार्य है। यह प्रतिदिन के कार्यों में हमें नियमित रहना सिखाता है। डायरी लिखने की आदत समयपालन व अनुशासनबद्ध होने की सीख भी देती है। प्रत्येक डायरी लिखने वाला यह प्रयास करता है कि उससे कुछ ऐसा न हो जाए जिसे लिखना उसके लिए कठिन हो। ऐसी स्थिति में वह अपने आचरण के प्रति विशेष सतर्कता बरतता है।

डायरी लिखने से न केवल आत्माभिव्यक्ति की क्षमता का विस्तार होता। है अपितु व्यक्तित्व में भी विकास व परिष्कार होता है। व्यक्ति अपने गणदोषों को धीरे-धीरे समझने लगता है। डायरी व्यक्ति के व्यक्तित्व का दर्पण। बन जाती है। दिनभर के कार्यों के बाद वह जब उन पर पुनः चिंतन-मनन करता है तो आनेवाले दिन की समय तालिका बेहतर बन पाती है।

डायरी उत्कृष्ट कोटि का साहित्य भी होती है। सुंदर रमणीक स्थलों का यात्रा वर्णन, सामाजिक रीतिरिवाजों पर विचार-विमर्श पर्यटक स्थलो का यथार्थ विवरण आदि ऐसे अनेक प्रसंग हैं जो डायरी में अंकित किए। जाते हैं। अन्य लोगों के लिए रोचक सामग्री यही प्रसंग बनते हैं।

विद्यार्थियों के लिए डायरी लेखन अत्यंत महत्वपर्ण है। डायरी से। उनकी लिखित अभिव्यक्ति का विकास होता है। उनमें दिनभर के काया को नियमित व व्यवस्थित रूप से करने की योग्यता का विस्तार होता है।

छात्रों में सुकार्यों के प्रति आस्था बढ़ती है तथा वे स्पर्धावश आदर्शात्मक उद्देश्यों की ओर आकृष्ट होते हैं।

इससे छात्रों में चिंतन-मनन व आत्मविश्लेषण की क्षमता भी उत्पन्न होती है। वे चारित्रिक गुणात्मकता लाने की दिशा में सदा प्रयत्नशील रहते हैं। यही कारण है कि संसारभर के अधिकांश महापुरुष अपने जीवन में डायरी लिखते रहे। महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, डॉ. राजेंद्र प्रसाद जैसे महापुरुषों के जीवन-चरित्र का आधार उनकी डायरियाँ ही बनीं।