विज्ञान वरदान है या अभिशाप 
Vigyan Vardan hai ya Abhishap

पूर्व युग-सा आज का जीवन नहीं लाचार, 
आ चुका है दूर वापर से बहुत संसार 
यह समय विज्ञान का सब भाँति पूर्ण समर्थ, 
खुल गए हैं गूढ संसृत के अमित गुरु अर्थ। 

दिनकर जी ने उचित ही कहा है कि आज विज्ञान इतनी उन्नति कर चुका है कि इस युग को ही विज्ञान युग कहा जा सकता है। विज्ञान का शाब्दिक अर्थ है-विशेष प्रकार का ज्ञान। आदिकाल से मानव विभिन्न अनुसंधान करता आया है। विज्ञान ने उसके जीवन को सुख-सुविधाओं से युक्त कर दिया है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में उन्नति का श्रेय विज्ञान को जाता है। हर विषय का क्रमबद्ध अनुसंधान व जान ही विज्ञान है जिसने मानव जीवन को दीर्थ, सुरक्षित व आरामदेह बना दिया है।

विज्ञान के कारण शिक्षा, चिकित्सा, उद्योग, व्यापार आदि सभी क्षेत्रों में अभूतपूर्व उन्नति हुई है। विज्ञान के विभिन्न अनुसंधानों का ही परिणाम है कि आज हम हजारों किलोमीटर की दूरी पलभर में तय कर लेते हैं। पक्षी की भांति मनुष्य आकाश में उड़ता है। घर बैठे-बैठे ही हजारों किलोमीटर दूर बैठे व्यक्ति से टेलीफ़ोन पर बात कर सकता है। संसार के किसी भी कोने में घटनेवाली घटना को टेलीविजन पर देखा जा सकता है। नक्षत्रों की स्थिति, सूर्य ग्रहण और तारामंडलों को अंतरिक्ष केंद्रों और उपसंचार के साधनों दवारा आम व्यक्ति द्वारा भी देखा-सुना जा सकता। है। विज्ञान का ही वरदान है कि धरती आकाश, पाताल की सभी दूरियाँ सिमट गई हैं।

प्राचीन युग में जो दूरियाँ तय करने में महीनों लग जाते थे, वहाँ आज वायुयान, मोटर, रेल द्वारा शीघ्र ही पहुँच जाते हैं। विभिन्न देशों से व्यापारिक संबंध स्थापित करने में इन साधनों से बहुत मदद मिली है।

विज्ञान की ही देन कम्प्यूटर है जो मानव मस्तिष्क से भी अधिक सक्षम है। करोड़ों की गिनती-गुणा-जमा को पलभर में कर देने की क्षमता रखने वाले इस यंत्र को आज जीवन के सभी क्षेत्रों में पाया जा सकता है। बटन दबाते ही तरह-तरह की सूचनाएं प्राप्त हो जाती हैं। सभी क्षेत्रों में विकास व गुणात्मक सुधार लाने की दिशा में कम्प्यूटर का खास योगदान है।

चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में विज्ञान के कारण अद्भुत सफलताएँ मिली हैं। विभिन्न यंत्रों की सहायता से बिना चीर-फाड़ किए ही बड़े-बड़े ऑपरेशन किए जा रहे हैं। शरीर के विभिन्न अंगों का प्रत्यारोपण करना। भी संभव हो गया है। आँख, हाथ, पैर, हृदय, मस्तिष्क, गुर्दे सभी का। इलाज आज संभव है। विज्ञान ने मनुष्य को दीर्घायु बना दिया है। आज विभिन्न जानलेवा बीमारियों से मनुष्य को छुटकारा मिल गया है। इसका श्रेय वैज्ञानिक अनुसंधानों को ही जाता है।

विज्ञान ने उद्योग-धंधों का विस्तार कर देश को आर्थिक प्रगति व मानव को सुख-साधन उपलब्ध कराए हैं। आज बटन दबाते ही भीषण गमा। या सर्दी से छुटकारा मिल सकता है। बिजली के ऐसे उपकरण तैयार किए जा चुके हैं जो चूल्हों और आग से मनुष्य को मुक्त कर चुके हैं। पलक झपकते ही भोजन तैयार हो जाता है। विभिन्न प्रकार के षट्रसी व्यंजन व पेय बंद डिब्बों में कैद हैं। किसी भी मौसम के फल व सब्जियों को वर्षभर प्राप्त किया जा सकता है, किसी भी खाद्य पदार्थ को महीनों सही सलामत रखा जा सकता है; यह विज्ञान का ही चमत्कार है। विभिन्न क्षेत्रों में तरह-तरह के उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं। जिस काम को करने में महीनों लग जाते थे, उसे मशीनें आज पलभर में कर देती हैं।

कारखानों में काम करने हेतु रोबोट तैयार कर लिए गए हैं। इनकी कार्यक्षमता का हिसाब रखना कठिन है। टनों वजन को यहाँ से वहाँ रखना, मशीनों का नियंत्रण करना, डिब्बों में पैक करना-सब काम कम्प्यूटर युक्त मशीनें करती हैं। मशीनों से उत्तम कोटि के बरतन, वस्त्र और तरह-तरह के उपकरण बनाए जा रहे हैं। घरों की सफ़ाई, बरतन व वस्त्र धोने के सभी काम मशीनें कर देती हैं। आज यदि पंखा, कूलर व अन्य मशीनों आदि विभिन्न घरेलू वैज्ञानिक आविष्कारों को जीवन से निकाल दिया जाए। तो जीना दूभर हो जाएगा।

विज्ञान ने मनुष्य को मनोरंजन के तमाम साधन प्रदान किए हैं। मनुष्य काम-काज से थककर घर बैठा-बैठा टेलीविज़न द्वारा चलचित्रों और विभिन्न कार्यक्रमों का आनंद लेता है। कहीं भी आते-जाते रेडियो तथा टेपरिकॉर्डर से गीत-संगीत द्वारा आहलादित होता है। तरह-तरह के कम्प्यूटर खेलों द्वारा बालक आज व्यस्त रहते हैं। विभिन्न गतिमान साधनों से मनुष्य यत्र-तत्र पर्यटन का आनंद उठाता है। प्रकृति के सुंदर नजारों को अपने कैमरों में बंद कर लेता है। विश्वभर के साहित्य, पत्र-पत्रिकाएँ, चलचित्र उसे उपलब्ध हो जाते हैं। ये सब विज्ञान की ही देन है। दूर बैठे। व्यक्ति को टेलीविज़न की स्क्रीन पर देखते हुए बातें की जा सकती हैं। मुद्रण कला द्वारा संसारभर के साहित्यकारों की लेखनी को अमरत्व प्रदान किया गया है।

ये विज्ञान की ही देन है कि नदियों पर बड़े-बड़े बाँध बनाकर बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। आकाश की खोजबीन के लिए चाँद-सितारों की यात्रा कर ली गई है तथा प्रतिदिन रॉकेट छोड़े जा रहे हैं। मनोरंजन शिक्षा, कृषि, यातायात, दूरसंचार, उद्योग, चिकित्सा सभी क्षेत्रों की वैज्ञानिक उपलब्धियाँ आश्चर्यचकित कर देती हैं। ये सब उपलब्धियाँ निश्चित रूप से मानव के लिए वरदान सिद्ध हो रही हैं। इस मशीनी संस्कृति ने धरा। को अभूतपूर्व सुख-साधनों से समृद्ध बना दिया है।

विज्ञान ने जहाँ मनुष्य को इतने सुख-साधन व उन्नति दी है, वहीं। दूसरी ओर विज्ञान की खोजों से ही ऐसे घातक हथियार और परमाणु बम बनाए जा चुके हैं, जो पलक झपकते ही सारे विश्व को भस्मीभूत कर सकते हैं। आज परमाणु बम के भय से मानव सभ्यता त्रस्त है। जापान में द्वितीय महायुद्ध के समय अणुबम द्वारा की गई भयंकर विनाश लीला का दुष्परिणाम, आज तक वहाँ का जनसामान्य भोग रहा है।

वैज्ञानिक उन्नति ने विश्वभर में प्रदूषण की समस्या को जन्म दिया है। आज जल, थल और वायु सभी प्रदूषित हैं। कभी भयंकर भूकंप आते हैं, कभी ज्वालामुखी फटते हैं, कभी विनाशकारी आग लगती हैं तो कभी बाढ़ें आती हैं। समस्त मौसम चक्र बदल रहा है। प्रकृति का संतुलन बिगड़ चुका है। ये वैज्ञानिक उन्नति के ही दुष्परिणाम हैं। ये विज्ञान के वे अभिशाप हैं जिन्होंने मानव के भविष्य पर ही प्रश्न चिहन लगा दिए हैं।

निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि विज्ञान ने मनुष्य को सुख ही अधिक। दिए हैं। अणु शक्ति का प्रयोग संहार के लिए न कर रचनात्मक कार्यों में किया जा सकता है तथा मनुष्य सतर्क हो, कर्मरत रह मानव सभ्यता को विनाश के कगार से बचा सकता है। विज्ञान साध्य है, इसका सदुपयोग व दुरुपयोग दोनों किए जा सकते हैं। यह मानव का विवेक है कि वह किस। प्रकार विशेष ज्ञान उपलब्ध कर मानव सभ्यता का भला कर सकता है।