हिंदी के 'हिंदुस्तान' समाचार-पत्र के संपादक को पत्र लिखिए जिसमें देश में लड़कियों की घटती जनसंख्या पर चिंता प्रकट की गई हो।

सेवा में

संपादक महोदय

हिंदुस्तान

बंगलौर

महोदय

मैं आपके लोकप्रिय समाचार-पत्र का नियमित पाठक हूँ। मैं लड़कियों की नित घटती जनसंख्या से चिंतित हूँ। मैं अपने विचार सरकारी अधिकारियों तथा जनता तक पहुँचाना चाहता हूँ। कृपया इन्हें छापकर अनुगृहीत करें।

पिछले दस वर्षों से उत्तर भारत में लड़कियों की जन्म-दर लगातार घटती जा रही है। चंडीगढ़ जैसे महानगर में लड़कियों का अनुपात किसी भी महानगर से कम है। हरियाणा में लड़कियों का अनुपात देशभर में न्यूनतुम है। लड़कियों की घटती जनसंख्या चिंता का विषय है। यदि यह गति चलती रही तो कितने ही युवकों को बेरोजगार के साथ कुँवारा भी रहना पड़ेगा। फलस्वरूप समाज में छेड़खानी, अपहरण और बलात्कार की घटनाएँ बढ़ेगी। समाज का अनशासन और संतुलन दोनों बिगड़ेंगे। लड़कियों की घटती जन्म-दर के पीछे पुरुष-प्रधान समाज की पिछड़ी विचारधारा है। अधिकतर लोग अपने दो बच्चों में दोनों ही लड़के चाहते हैं या एक लड़का और एक लड़की चाहते हैं। लड़का-लड़की की समानता की बात केवल कागजों पर है। इसलिए अधिकांश माँ-बाप गर्भावस्था में ही भूण की जाँच करवा लेते हैं। यदि लड़की हुई तो उसे अस्वीकार कर देते हैं। यह भ्रूण-हत्या मानव-हत्या के समान ही है। यह समस्त नारी जाति का अपमान है। समाज को चाहिए कि ऐसे लोगों का बहिष्कार करें। सरकार को भी गर्भपात और भ्रूण-परीक्षण के संबंध में कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।

भवदीय

हरभगवान

-38, एम.जी. रोड

बंगलौर

दिनांक : मार्च 12, 2014