आधुनिक नारी 
Aadhunik Nari 


आकाश की विशालता, सागर की गहराई, पर्वतों से इरादे, धरती-सी सहनशीता, फूलों-सी कोमलता, वन-सी कठोरता, आँखों में सतरंगी सपने संजोए पूरे आत्मविश्वास और दृढ़ता से आगे बढ़ते कदम-यह चित्र है आधुनिक नारी का। 'आँचल में है दूध और आँखों में पानी'-नियति रही है नारी की। कहीं-कहीं आज भी है, किंतु आधुनिक नारी ने दृढ़-निश्चय और कठोर परिश्रम से हाथों की पुरानी लकीरों को मिटा डाला है। पुरातन मूल्यों और आधुनिक प्रगति दोनों का सुंदर समन्वय है उसमें। मातृत्व और पत्नीत्व के सभी उत्तरदायित्वों को दक्षता और समर्पण-भाव से निभाते हुए आज वह अपने भीतर छिपी प्रतिभा के नए आयामों को भी तलाश रही है। अपनी आकांक्षाओं और सपनों को वह साकार रूप देना चाहती है। कार्य के हर क्षेत्र में न केवल उसने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है अपितु उसमें श्रेष्ठता के कीर्तिमान भी स्थापित किए हैं। किरन बेदी, सानिया मिर्जा, अरुंधति रॉय, दीपा मेहता, मेधा पाटेकर जैसे नामों से आज सभी परिचित हैं। बचेंद्री पॉल ने यदि एवरेस्ट पर झंडा गाढ़ा, तो कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स ने चाँद-सितारों को छूकर दिखा दिया है। किरन मजूमदार शाह और नैना लाल करोड़ों रुपय वाले कॉपरपोरेट घरानों का कुशलता से संचालन कर रही हैं। अब तक एकमात्र पुरुषों के लिए संरक्षित क्षेत्रों में भी कुशलता का प्रदर्शन उसकी श्रेष्ठता का ही प्रमाण है। उसने दिखा दिया है कि यदि अवसर और प्रोत्साहन मिले तो वह सब कुछ दक्षतापूर्वक करने में समर्थ है और किसी भी दृष्टि से पुरुष से हीन नहीं है। पुरुष के अन्याय और अत्याचार को 'मैं चुप रहूँगी' के अंदाज़ में सहन करते रहने को वह तैयार नहीं है।

'अबला नहीं, शक्ति स्वरूपा है नारी ! 

दिनकर की रश्मि, विधु की चाँदनी है नारी! 

निश्चय ही प्रकृति की श्रेष्ठतम रचना है नारी !'