हँसी-सर्वोत्तुम औषधि 
Laughter is the Best Medicine 

यह पूरीक्षित तथ्य है कि प्रसन्नता हमें शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ बनाए रखती है। हँसते समय शरीर से ऐसे उपयोगी रस सृजित होते हैं जो पाचन क्रिया में सहायक होते हैं। खाया हुआ यदि ठीक से पच जाए तो शरीर पुष्ट और स्वस्थ रहता है और रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। रक्त का प्रवाह बढ़ता है, जिससे प्रत्येक अंग सुचारू रूप से काम करता है। खुलकर हँसने वाला व्यक्ति कभी बूढ़ा नहीं होता। खुशमिज़ाज़ व्यक्ति से मित्रता करना सभी पसंद करते हैं। हँसी का प्रभाव हँसने वाले पर तो पड़ता ही है, किसी को हँसता देख दूसरों के होंठों पर भी सहज ही मुस्कान आ जाती है। किसी उदास व्यक्ति से हँसी-मज़ाक करो तो उसकी उदासी दूर हो जाती है; शत्रु को हँसाओ तो उसकी शत्रता कम हो सकती है। हँसी तो वह औषधि है जो रामबाण की तरह बड़े-बड़े रोगों तक से मुक्ति दिला सकती है। अनेक पूरीक्षणों द्वारा यह सिद्ध हो चुका है कि दवाओं का प्रभाव दुखी और निराश लोगों पर बहुत धीमा होता है जबकि हँसमुख लोगों पर दवा जल्दी असर दिखाने लगती है। हँसने से शरीर में ऐडॉरफ़िन हॉरमॉन की मात्रा बढ़ती है जो हमारी प्रतिरक्षा की क्षमता को बढ़ाता है और हम रोगों से बच सकते हैं। हँसना अच्छा है, किंतु दूसरों की कमियों, कमजोरियों पर नहीं। हास्य में पवित्रता, निर्मलता, सरलता और सहजता होनी चाहिए। हम अपने पर हँसना सीख जाएँ तो हीन-भावना, आत्म-विश्वास की कमी जैसी समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं। जीवन में दुख, कष्ट समस्याएँ तो आती ही हैं, उन्हें हँसते-हँसते स्वीकार करेंगे तो जीवन सुखद बना रहेगा। किसी ने ठीक कहा है

'जिंदगी जिंदादिली का नाम है,

मुर्दादिल क्या खाक जिया करते हैं?' 

जीवन को सुख और आनंद से व्यतीत करना चाहते हैं तो 'हँसी' को अपना अभिन्न मित्र बना लीजिए।