मनुष्य वही है, जो मनुष्य के लिए मरे
Manushya wahi hai, Jo Manushya ke liye Mare
मानव-हित के लिए जीने-मरने वाला मानव सच्चा मानव। मानव इसलिए मानव क्योंकि उसमें मानवता है, करुणा है, दया ७, दूसरों के सुख-दुख में सम्मिलित होने का गुण है। केवल अपने सुख-साधन में सीमित मनुष्य पश समान है।
महापुरुषों के उदाहरण-महान वही, जिसने औरों के लिए जीना-मरना सीखा। गाँधी, सुभाष, नेहरू, बुद्ध, विवेकानंद स्वयं के लिए नहीं, औरों के लिए जिए। ईसामसीह, पीर-पैगंबर सभी करुणा से युक्त थे। महान बनने के लिए स्वार्थ-त्याग की आवश्यकता।
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