तुम 454, प्रेमनगर, जोधपुर की निवासिनी सुमेधा हो। तुम्हें तुम्हारी सखी रंजना ने पत्र द्वारा बधाई भेजी है, जिसमें तुम्हें और अधिक आगे बढ़ने की प्रेरणा दी गई है। अपनी सखी को इस बधाई-पत्र के प्रत्युत्तर में एक कृतज्ञता-पत्र लिखिए।


सुमेधा

454, प्रेमनगर

जोधपुर 10 मार्च, 2014

प्रिय रंजना

सस्नेह स्मरण !

तुम्हारा बधाई-पत्र मिला। पढ़कर अपार प्रसन्नता मिली। यूँ तो आजकल मैं बहुत खुश हूँ क्योंकि ढेर सारे बधाई-संदेश मिल रहे हैं-विद्यालय से, मित्रों से, अध्यापकों से, संबंधियों से, परिचितों से, अपरिचितों से। सभी मेरी पीठ थपथपा रहे हैं। परंतु तुम्हारे बधाई-पत्र को पाकर मैं सचमुच बहुत प्रसन्न हूँ ; क्योंकि तुम्हारे शब्दों को मैं बहुत महत्त्व देती हूँ। तुम्हारी प्रेरणा से ही मैंने इस दिशा में इतनी उन्नति की है। तुमने सफलता में ही नहीं, असफलता के क्षणों में भी मुझे उत्साह दिया है। मेरी इस सफलता में तुम्हारे उत्साह का बल होता तो शायद आज मैं इस शिखर पर पहुँच सकती।

तुम्हारे बधाई-पत्र के लिए कैसे कृतज्ञता व्यक्त करूँ। शब्दों में सामर्थ्य नहीं, वचन हो रहे मौन।

मम्मी पापा को सादर नमस्कार देना !

तुम्हारी सुमेधा