बड़ी बहन द्वारा अपने छोटे बहन-भाई को घर के काम में सहयोग देने की प्रेरणा देते हुए। 

123/3 शांतिकुंज 

नई दिल्ली 

10 अक्टूबर 2014 

मेरी प्यारी बहन मयूरी और मेरे प्यारे ननकू, 

ढेर सारा प्यार और आशीर्वाद। आशा है वहाँ सब कुशलपूर्वक होंगे। मैं भी अपने नए घर-परिवार में प्रसन्न हूँ। माँ के पत्र से पता चला कि मेरे यहाँ आने और भैया के छात्रावास में जाने के बाद तुम कुछ ज्यादा ही मस्ती करने लगे हो। पहले, घर के कामों में मैं और बाहर बाजार के कामों में भैया हाथ बँटाते थे। यहाँ तक कि रविवार का सुबह का खाना भैया ही बनाते थे। अब घा के सारे काम का बोझ माँ पर आ गया है। तुम्हें समझना चाहिए कि अब तुम छोटे बच्चे नहीं रहे हो। मयूरी तुम दसवीं कक्षा में और ननकू तुम आठवीं कक्षा में आ गए हो। मैं जानती हूँ तुम दोनों माँ को बहुत प्यार करते हो, किंतु ऐसे प्यार का क्या अर्थ जो उसके दुख-दर्द को न समुझे। जिससे हम प्यार करते हैं उसकी प्रसन्नता में हमारी प्रसन्नता होती है। इस ओर शायद तुम्हारा ध्यान ही नहीं गया है। मुझे पूरी आशा है कि अब से तुम घर की सफ़ाई, खाना बनाने और बाजार का काम निपटाने में माँ का हाथ बटाओगे। ऐसा करके तो देखो, माँ तो प्रसन्न होगी ही, तुम्हें खुद भी सच्ची खुशी का अहसास होगा। घर के काम किसी एक के नहीं सबके होते हैं। अपनी-अपनी योग्यता के अनुसार उन्हें करना हमारा कर्तव्य भी है। मुझे माँ के उस पत्र की प्रतीक्षा रहेगी जिसमें तुम दोनों की शिकायत की जगह प्रशंसा होगी। 

अम्मा का ध्यान रखना, उन्हें मेरा सादर-प्रणाम करना। 

ढेर सारे प्यार और आशीष सहित 

तुम्हारी 

दीदी