होली के उपलक्ष्य में अपने घर हो रहे लोकगीत के कार्यक्रम में निमंत्रित करते हुए मित्र / सखी को पत्र। 

दयाधाम 

3/12, जवाहर नगर 

जयपुर 

12 मार्च 2014 

प्रिय आकांक्षा, 

सस्नेह नमस्ते। आशा है तुम सब कुशल पूर्वक होंगे। तुम्हें यह जानकर प्रसन्नता होगी कि इस वर्ष होली के शभअवसर पर हमने अपने घर में लोक-गीतों के कार्यक्रम का आयोजन किया है। 16 मार्च की होली है और 17 मार्च की धुलंडी है। 16 मार्च को का दहन और पूजा के उपरांत रात्रि 8 बजे से 9 बजे तक लोकगीतों की धूम रहेगी। राजस्थान के 'फाग' के आनंद की बात ही निराली है।ढफ, मोरचंग और सारंगी के साथ जब लोक गायक तान छेड़ते हैं तो हमें एक दूसरी ही दुनिया में ले जाते हैं। अपने आप थिरकने लगते हैं। तुम जैसी नृत्यांगना जब यहाँ होगी तब तो आयोजन में चार चाँद लग जाएँगे।

कार्यक्रम में हमने केवल अपने परिजनों और खास-खास मित्रों को ही निमंत्रित किया है। अपनों के साथ होली की मस्ती में मने नाचने का अवसर कब-कब मिलता है। मुझे आशा है तुम अवश्य आओगी। मैंने शुभी, रितु, रेनू, वंदना और छवि को ही नियंत्रित किया है। रात्रि में पिताजी तुम सबको स्वयं घर छोड़कर आएँगे। अपनी माताजी से कह देना कि वे चिंता न करें। घर में सबको यथायोग्य।

तुम्हारी सखी

मीनू